Bejati Ka Badla, Bhabhi Ko Chod Kar Liya

Deep punjabi 2018-03-25 Comments

और फोन काट दिया।

मैंने सोच लिया आज तो इसको पेलकर ही अपनी बेइज़ती का बदला लूँगा। शाम को करीब 7 बजे मैं उनके घर चला गया। उस वक्त वो खाना खा रही थी। मुझे आया देख उसने खाना वही छोड़ दिया और मुझसे पूछा, आइये दीप जी, इस समय कैसे आना हुआ ?

मैं — क्यों यदि आप मेरे घर जा सकती है तो मैं नही आ सकता क्या ??

वो — नही… नही… आप तो शायद बुरा मान गए। मेरे कहने का मतलब ये नही था। बल्कि आपसे पूछा है के मैं इस वक़्त आपकी क्या मदद कर सकती हूँ।

मैं — हां, मदद तो सिर्फ आप ही कर सकती है। ये लीजिये फोन आपके पति का आया है बात करलो।

जैसे ही उसने फोन पकड़ कर कान को लगाया तो उसके हलो कहते ही दिन वाली रिकॉर्डिंग चालू हो गयी। जिसे सुनते ही उसके तो जैसे फ्यूज़ ही उड़ गए। उसके चेहरे पे पसीने की बूंदे उभर आई। उसने मुझे फोन वापिस देते हुए थोडा सख्त लहज़े में कहा,” ये क्या बदतमीज़ी है, और यहां क्या लेने आये हो ?

मैं — अब ये भी मैं बताऊ के क्या बात है। रही बात लेने की तो जो राकेश को देती हो, मुझे भी दे दो हा… हा… हा… !

वो — बकवास बन्द करो और चले जाओ यहां से, वरना मैं शोर मचाकर मोहल्ला इकठा कर लूंगी और बोलुगी के ये अकेली देखकर मुझसे ज़बरदस्ती करने आ गया।

मैं — कोई बात नही, मचा लो शोर । तुम इधर शोर मचा लो। उधर मैं यही 2 रिकॉर्डिंग संदीप भाई को भेज देता हूँ।

वो– 2 कोनसी बताना जरा ?

मैं – एक आज वाली और एक उस दिन वाली जब मुझे बाइक से रोक कर फोन माँगा था।

मेरी बात सुनकर वो थोडा शांत पड गयी, और हाथ जोड़ते हुए बोली,” देखो दीप, प्लीज़ ऐसा भूल से भी न करना, तुम्हारी इस हरकत से मैं कहीं की नही रहूंगी। तुम जिस लड़की को बोलोगे, उस से तेरा टांका फिक्स करवा दूंगी। मेरी बहुत पहचान बनी हुई है। लेकिन मुझसे ये काम नही होगा।

मैं — देखलो, मर्ज़ी है तुम्हारी, मेने तो आज की रात ही लेनी है, तुम्हारे इस इंकार से तुम 2 लण्डों (संदीप + राकेश) से हाथ धो लोगी। फ़िलहाल तो मैं जा रहा हूँ। जो भी फैसला हुआ घर आकर बता जाना। तुम्हारे पास 1 घण्टे का समय है। उसके बाद मेरा समय शुरू हो जायेगा।

इतना बोलकर मैं घर आ गया। मुझे पूरा यकीन हो गया के वो हाँ ही कहेगी क्योंके उसके पास कोई और रास्ता ही नही है। करीब आधे घण्टे बाद वो हमारे घर आई। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

उस वक्त मैं अपनी छत पे बने अपने कमरे में था और उसी का ही इंतजार कर रहा था।

बाहर से आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी।

वो (मेरी माँ से) – नमस्ते, आंटी दीप कहाँ है?

माँ — नमस्ते मीना बेटी और बताओ इस वक्त कैसे आना हुआ। सब खैरियत तो है ?

वो — हाँ, सब ठीक है, लेकिन चलते चलते टीवी अचानक बन्द हो गया है। बच्चों के पापा भी घर पे नही है। तो बच्चे शोर मचा रहे हैं के या तो टीवी ठीक करवाके दो या हम फ़िल्म देखने पड़ोसियों के घर जायेंगे। आप तो जानते ही हो के किसी के घर जाने का वक़्त नही रहा है। ज़माना खराब है। सो मेने सोचा दीप को टीवी के बारे में थोड़ी जानकारी है। इसे दिखा लेती हूँ। यदि समझ में आया तो ठीक कर देना। वरना सुबह राहुल के पापा को बाजार भेजकर ठीक करवा लेंगे।

माँ — दीप, छत पे अपने कमरे में पढ़ रहा है। उस से पूछ लो। यदि जाने के लिए मानता है। तो ले जाओ, मुझे कोई ऐतराज़ नही है।

वो — ठीक है, आँटी जी।

इतना बोलकर वो मेरे कमरे में आ गयी और माँ को सुनाने की खातिर वही टीवी वाली बात दुहरायी और आँख के इशारे से उसके घर पे जाने का न्यौता दिया।

मैं उसका इशारा समझ गया और माँ को हम पर शक न हो इसलिए मैंने भी उसे बोल दिया के मैं सिर्फ बाहर से टीवी देखकर ठीक कर सकता हूँ,। ज्यादा रिपेयर तो मुझे भी नही आती।

वो — चलो कोई बात नही, जितनी आती है देख आओ, समझ में आये तो ठीक कर देना वरना वापिस आ जाना। जिस से बच्चों को भी यकीन हो जायेगा के चाचू से भी ठीक नही हुआ है।

मैं उसके साथ उसके घर पे आ गया। घर में घुसते ही उसने अंदर से कुण्डी लगाली और मुझसे कहा के सुनो दीप, मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है। लेकिन तुम्हे मुझसे एक वादा करना होगा के तुम ये बात किसी और से नही कहोगे।

मैं — कौनसी बात ?

रिकॉर्डिंग वाली या ये जुगाड़ वाली ?

मेरे मुंह से “जुगाड़” शब्द सुनकर उसकी हंसी निकल गयी और बोली हाँ ये दोनों बाते हम दोनों में ही रहनी चाहिए।

मैंने सहमती में हाथ मिलाया और उसे वही पे जफ्फी डालने लगा।

वो — रुको,, रुको अभी नही पहले बच्चों को सो जाने दो। तब तक तुम खाना पानी से फ्री हो जाओ। हम आज रात छत पे मिलेंगे और वही तुम्हारे कमरे में करवाई डालेंगे।

मुझे उसकी बात जच गई और मैं उसकी गाल पे पप्पी लेकर वापिस अपने घर पे आ गया। करीब 10 बजे वो छत पे आ गई और मेरे कमरे का दरवाजा हल्के से खटखटाया। मैंने दरवाजा खुला होने की आवाज़ दी और वो अंदर आ गई और दरवाजा अंदर से लोक कर लिया । अंदर आते ही उसने मुझे ज़ोर से जफ्फी डाल ली और मैंने उसे बैड पे ही लिटा लिया। उसकी सांसे तेज़ चल रही थी।

तो दोस्तो ये था मेरी इस चुदाई की कहानी का पहला एपिसोड, यह आपको जैसा भी लगा हो, कृप्या अपने विचार मेरे साथ सांझे जरुर करे, मेरा ईमेल पता है “[email protected]”, आपके कीमती विचार मेरे लिए एक प्रेरणा बनते है, जिससे मैं आपके लिए और सेक्सी कहानियां लिख पाता हूँ!

अगला एपिसोड जल्द ही पढने को मिलेगा, सिर्फ देसी कहानी डॉट नेट पर!

 

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