Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 16

iloveall 2017-02-17 Comments

This story is part of a series:

मेरी समझ मैं नहीं आ रहा था की मैं क्या करूँ। पर उस समय मेरी चिंता यह थी की कहीं मेरे दाँत से अनिल के लन्ड को कोई हानि न पहुंचे। जैसे अनिल का लन्ड मेरे मुंह में गया की मैंने अपना मुंह चौड़ा किया और उसके लन्ड के अग्र भाग को मुंह में लिया और मेरे दाँतों को दूर रख कर उसके लन्ड के इर्दगिर्द मैंने अपनी जिह्वा और होँठ लपेट दिए। उसके लन्ड को मुंह में लेकर मैंने पहले उसे चूमना और बादमें चाटना शुरू कर दिया।

उस समय अनिल के हाल देखने जैसे थे। वह अपनी आँखे भींच कर ऐसा दीख रहा था की जैसे उसके पुरे बदन में कोई अद्भुत रोमांच पैदा हो रहा हो। मुझे यह महसूस हो रहा था की मेरे उसके लिंग को चूसना उसे बहुत उन्मादित कर रहा था। मैंने उसे और आनंद देने के लिए उसके लन्ड को और जोर से मुंह के अंदर बाहर करना शुरू किया तो उसका हाल और उन्मादित हो गया। उसने मेंरे सर को पकड़ा और अपना लन्ड मेरे मुंह के अंदर बाहर करने लगा। उसका उन्माद मुझे भी उन्मादित कर रहा था।

अचानक उसके लन्ड में से मेरे मुंह में एक फव्वारा जैसे छूटा। उसके लन्ड में से गरम गरम अजीब सा दूध की मलाई जैसा चिकना पदार्थ निकलने लगा और मेरा मुंह उससे पूरा भर गया। इतने जोरसे उसकी मलाई निकलने लगी की उसकी कुछ मलाई तो मैं अनजानेमें निगल ही गयी। मेरा गला रुंध गया और मेरे मुंह से भी आवाज न निकल पायी।

मैंने अनिल की और देखा तो वह आँखें बंद करके कुछ अजीब सी तन्द्रा में उसकी मलाई निकलने की पक्रिया के आनंद का अनुभव कर रहा था। मैंने पहली बार उस दिन कोई मर्द का वीर्य निकलते देखा। मुझे खांसी आ रही थी, पर मेरे प्रेमी का उन्माद देख कर मैंने उसके वीर्य को चाट कर निगल जाना ही बेहतर समझा। बड़ा ही अजीब सा होता है वीर्य का स्वाद। उस समय मुझे वह अच्छा तो नहीं लगा, पर अपने प्रेमी के आनंद को देख मैं उसे निगल ही गयी।

अनिल ने उसके बाद अपना लन्ड मेरे मुंह से बाहर निकाला। वीर्य निकलने से वह थोड़ा सा ढीला पड गया था। फिर भी वह लंबा और अकड़ा हुआ था।

अनिल मेरे साथ बैठ गया उर फिरसे उसने अपने होंठ दुबारा मेरे होंठों से भींच दिए और वह मेरा मुंह चूसने लगा। साथ साथ उसने मरे स्तनों को दबाना और मसलना शुरू कर दिया। जब मैं अनिल का लन्ड मेरे मुंह में लिए हुए थी तब मैं अपने स्तनों को स्वयं ही दबा रही थी और कामुक सिसकियाँ भर रही थी और अजीब से कामुकता के भाव में कराह रही थी। मुझे मेरी छाती और मेरी चूत में अजीब सी खुजली हो रही थी। उसे खुजली कहना ठीक न होगा। बल्कि वह ललक जो मेरी योनि में हो रही थी वह खुजली से कहीं ज्यादा रोमांचक थी। मुझे मेरी चूत में तब अनिल का लन्ड डलवाना ही था ऐसी जबरदस्त मानसिकता के कारण मैं पागल सी हो रही थी।

मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरी डेनिम की शॉर्ट्स को मैंने निचेकी और हटाया और मैं हरी हरी घांस पर लेट गयी। पता नहीं मुझे कैसे यह स्त्रीगत भाव हुआ की अनिल अब मुझ पर चढ़े और उसका लन्ड मेरी चूत में डाले। मेरी चूत उस समय इतनी गीली हो चुकी थी की मेरी पैंटी और मेरी डेनिम की शॉर्ट्स भीग गयी थी। मेरे घांस पर लेटते ही अनिल मुझ पर चढ़ने के लिए तैयार हुआ।

जब उसने एक झटके में अपनी पैंट निकाली तब उसका मोटा लंबा लन्ड हवा में लहराने लगा। कुछ ही मिन्टों में अनिल का लन्ड फिरसे एकदम फौलाद की तरह अकड़ गया था। अनिल के इतने मोटे और लंबे लन्ड को देख कर मेरा मन किया की मैं वहां से भाग जाऊं। मेरा जोर से चिल्लाने का भी मन किया।

अनिल के इतने बड़े लन्ड को मैं अपनी चूत में कैसे ले पाऊँगी यह सोचकर मेरे पुरे बदन में एक तरह की जबरदस्त सिहरन हो रही थी। उस समय मैं बुरी तरह से काँप रही थी। पर मैं समझ गयी थी की तब और कोई चारा नहीं था। बहुत देर हो चुकी थी। मैं अपना निर्णय ले चुकी थी। अब वापस हटना मुमकिन नहीं था। मैं एकदम चुप हो कर अनिल का उसके लन्ड को मेरी चूत में डालने का इन्तेजार करने लगी।

अनिल शायद मेरी परेशानी समझ गया होगा। वह अपना लन्ड मेरी योनि की भग्न रेखा पर धीरे धीरे रगड़ने लगा। मेरी योनि के होठों के फुलाव पर उसका लन्ड रगड़ने से मुझे मेरी कामाग्नि पर जैसे तेल छिड़कने जैसा महसूस हो रहा था। मैं कामुकता की आग में जल रही थी। कब अनिल उसका मोटा लन्ड डालकर मुझे चोदना शुरू करे इस का मैं बेसब्री से इन्तेजार करने लगी। मरी चूत में से तो जैसे मेरा रस झर झर बह रहा था। अनिल का पूर्व रस भी निकल रहा था। उसका लन्ड हम दोनों के स्निग्ध रस के मिलन से एकदम चिकना हो चुका था।

मैं अपने आप को सम्हाल नहीं पायी और मैंने अपने हाथ में उसका लन्ड लेकर मेरी योनि के छिद्र में घुसेड़ना चाहा। अनिल ने एक थोड़ा धक्का देकर उसका लन्ड मेरे योनि छिद्र में थोडासा घुसेड़ा। मैं पहली बार कोई भी मर्द के लन्ड को मेरे गुप्ताङ्ग से स्पर्श करा रही थी। उसके लन्ड को थोड़े अंदर घुसनेसे मैं अपने शरीर की कम्पन रोक नहीं पायी। जब अनिल ने उसके लन्ड मेरे प्रेम छिद्र में और घुसेड़ा तब मुझे तकलीफ महसूस हुई।

Comments

Scroll To Top