Bhatija Bna Pati – Part 1

Deep punjabi 2016-08-13 Comments

जब रात होने को थी तो उसने अपने घर फोन किया के बंटी के माँ बापु शादी में गए है सो आज उसका खाना बनाने के वास्ते यहाँ ही रहुगी। उसके माँ बाप भी मान गए। गर्मियों के दिन थे।

मेने बुआ को बोला,” आप मेरे पास सोयेंगे या अलग कमरे में ?

बुआ बोली ,” अलग क्यों सोऊँगी तेरे पास ही सोऊँगी। वेसे ऐसा क्यों पूछा तुमने ?

मैं — वो मुझे अकेला अंडरवेअर पहन कर सोने की आदत है इस लिए बोला के शायद आपको बुरा न लगे।

बुआ — नही मुझे कोई ऐतराज नही है। आप जैसे भी सोवो।

मेने बूआ के पास खड़े ही एक अंडरवेयर छोड़कर अपने सारे उतार दिए और जिसमे मेरा खड़ा लण्ड बिलकुल साफ साफ दिख रहा था। बुआ बार बार आँख चुराकर उसे ही देख रही थी। इस तरह वो रात तो गुज़र गयी पर बुआ की चुदासी होने का भी पता चल गया। इस दौरान बुआ मेरी और मैं उसकी बहुत केयर करने लग गया।

एक दिन मैं उनके घर गया। तब उनके घर पे कोई नही था। मुझे देखकर बहुत खुश हुई और बातो बातो में बुआ की आँखों में आंसू आ गए और बोली, बंटी तेरी बीवी बड़ी किस्मत वाली होगी, जिसे तुझ जैसा इतना प्यार करने वाला पति मिलेगा। उसकी तो ज़िन्दगी संवर जायेगी। काश तुम मेरे भतीजे न होते तो मैं तुमसे ही दुबारा शादी कर लेती।

उस वक़्त उसे गलत सही का कोई भी ख्याल नही था बस प्यार ही दिख रहा था। फेर भावुक होकर फेर बोली,” बंटी तुमसे एक बात बोलू।

मैं — हांजी बुआ जी बोलो।

बुआ — पहले तो बुआ न बोलो मुझे सिर्फ श्वेता कहो और दूसरी बात मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ और उसने हाथ जोड़ते हुए कहा प्लीज़ मेरा प्यार स्वीकर करलो।

मैं — नही बुआ जी यह सब गलत है। आपकी केयर और मदद आप पे तरस खाकर करता हूँ के इसका अपना कोई नही है जिससे दिल खोल कर बात कर सके। लोग क्या कहेंगे हमारे बारे में, आपकी इज़्ज़त पे धब्बा लग जायेगा।

बुआ — वो मैं नही जानती मुझे तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है। तेरे साथ बाते करना अच्छा लगता है। तुम क्या चाहते हो मैं किसी और से सम्बन्ध बनवा लू।

मैं — नही बूआ मैंने ऐसा कब बोला आपको ?

बुआ — पर मतलब तो यही ह न इसका जो मुझे ठुकरा रहे हो। क्या मुझमे कोई कमी लगती है आपको ?

मैं — नही तो

बुआ — तो फेर सुनो गांव के सारे लड़के मुझपे लाइन मारते है पर मुझे सिर्फ तुम पसंद हो। पता नही तुझे देखकर मुझे क्या होने लगता है। सोते जागते बस तुम्हारा ही ख्याल जहन में रहता है। तुम चाहो तो हम एक हो सकते है। मेरी परवाह करते हो न ?

मैं — हाँ बुआ बहुत ज्यादा।

बुआ — फेर क्यों मेरा प्रपोज़ ठुकरा रहे हो ? मैं तुम्हे अच्छी नही लगती क्या ?

मैं — नही बुआ ऐसी बात नही है। आप बहुत अच्छे हो और बुरे तो फूफा जी है। जिन्होंने आपकी कदर न की, और आपको दर दर की ठोकरे खाने के लिए अकेला छोड़ दिया।

मेरी ये बात सुनकर बुआ मेरे गले लग गयी और फक फक रोते बाते करने लगी

बन्टी यदि उन्हीने ने ही कदर की होती आज यूं दर दर की ठोकरे न खा रही होती। मैं भी इंसान हूँ, मेरी भी कुछ भावनाये है।

मेरा भी दिल करता है कोई मुझे भी प्यार करे, कोई मेरे साथ रात को सोये, मैं शादीशुदा होते हुए भी विधवा जैसी ज़िन्दगी जीने को मज़बूर हूँ।

बन्टी तुम भी इंसान हो न, तुम्हारा भी दिल करता होगा कोई लड़की मुझे चाहे, मेरे साथ रात को सहवास करे। करता है न दिल बोलो ?
मैं — हाँ पर ??
बुआ — पर क्या ?
मैं– जब कोई लड़की है ही नही क्यों दिल को जलाना और अपनी काम अग्नि को भढकाना ।

बुआ — जब मैं लड़की होते हुए इतना आग्रह कर रही हूँ। तो तुम पहाड़ पर क्यों चढ़ रहे हो। मान क्यों नही जाते?

मैं– पर बुआ दूनिया क्या कहेगी, अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा। हमारी दोनों की इज्ज़त की धज्जिया उड़ जायेगी।

बुआ– बन्टी ये बात हम दोनों में ही रहेगी। उसकी चिंता तुम न करो। क्या मैं तुम्हारी हाँ समझू।
बोलो ?????

मैं — अब कोई रास्ता भी नही है के क्योंके आपको किसी और की बाँहो में भी देख नही सकता। खुद ही सम्भालना पड़ेगा सब मामला अब मुझे तो।

कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।

बुआ — हाँ ये हुई न बात और उसने मेरे होंठो पे अपने कोमल होंठ लगाकर चुम्बन लिया और बोली

आह…!! मज़ा आ गया, आज एक साल बाद पहली बार किसी मर्द के होंठ चूमने को मिले है।

पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.

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