Attendance Ke Liye Chudwaya – Part 1

Arashdeep Kaur 2017-11-08 Comments

हैलो दोस्तो, मैं अर्शदीप कौर उर्फ चुद्दकड़ अर्श फिर से अपनी चुदाई की गर्मा-गर्म कहानी लेकर हाजिर हूं। ये कहानी मेरे और मेरे कॉलेज के एक प्रोफेसर के बीच हुए सेक्स की कहानी है।

ये कहानी बीकॉम पहले साल की है तब मैंने अपने एक प्रोफेसर से चुदाई कर के अपनी हाजिरी पूरी करवाई थी। बीकॉम पहले साल कॉलेज में मैं ज्यादातर अपने नए-नए बनाए ब्वॉयफ्रेंडज़ के साथ कहीं इधर-उधर चुदवाने चली जाती थी। मेरी इस आदत की वजह से कॉलेज में मेरी हाजिरी बहुत कम थी। मेरी परीक्षा आने वाली थी और मेरा रोल नंबर कम हाजिरी की वजह से रोक लिया। मुझे अपने पापा के साथ कॉलेज में आकर कम हाजिरी की वजह बता कर और जुर्माना देकर रोल नंबर ले जाने को बोला गया।

जुर्माना देने की बात कोई मायने नहीं रखती थी वो चाहे ज्यादा भी होता मैं भर देती। लेकिन पापा को साथ लाने की प्रोब्लम थी, मैं घर से रोज़ कॉलेज केलिए आती थी लेकिन कॉलेज की जगह लड़कों के साथ चुदाई करवाने और नशा करने निकल जाती थी तो पापा को क्या वजह बता कर साथ लाती। मैं रात को अकेली बैठ कर सोचने लगी लेकिन कोई बहाना नहीं मिल रहा था जो पापा को बोल कर साथ ले जाती। तब मैंने खुद ही कुछ करने का सोचा।

मैंने कई स्टूडेंट्स से सुन रखा था कि जिस प्रोफेसर ने रोल नंबर देना है वो ठरकी किस्म का आदमी है और लड़की देखकर बहुत जल्दी फिस्ल जाता है। उस से चूत के बदले कॉलेज का कोई भी काम निकलवाना बहुत आसान है।

मैंने ये तरीका अजमाने की सोची और अगले दिन की पूरी प्लानिंग करके सो गई। सुबह मैं घर से तैयार होकर निकल आई और सीधे कॉलेज पहुंच गई। आज कॉलेज में सिर्फ वो प्रोफेसर और कम हाजिरी वाले स्टूडेंट्स ही आने थे।

जब मैं कॉलेज पहुंची तो वो प्रोफेसर और कुछ स्टूडेंट्स अपने घरवालों के साथ आए थे करीब ऊक घंटे में प्रोफेसर ने उन सब स्टूडेंट्स को रोल नंबर दे दिए जो घरवालों के साथ आए थे और जो मेरे जैसे थे उनको साफ मना कर दिया। मुझे एक बार डर लगा कि मुझे भी रोल नंबर नहीं मिलेगा और डांट कर भगा देगा। फिर भी मैं हिम्मत करके उसके रूम में आ गई। मैंने दरवाजा खोला और अंदर आने को पूछा, प्रोफेसर ने मुझे हां बोला और काग़ज़ देखने लगा।

मैंने उसको आज पहली बार देखा था। उसका नाम रवि था और करीब 5 फुट 9 इंच कद का आदमी था। उसकी आयु करीब 45 साल और रंग गोरा था। उसका चेहरा क्लीन शेव और बालों पर काला रंग लगा हुआ था तथा नज़र का चश्मा लगा हुआ था। उसका पेट थोड़ा-सा लटका हुआ लेकिन चेहरा सुंदर था। जैसे ही मैं अंदर गई तो अपना चश्मा ठीक करके मेरी तरफ देखकर कहा हां बोलो। मैंने उससे कहा सर मैं कल रोल नंबर लेने नहीं आ सकी क्या आज मिल सकता है।

मैंने उस टाईम टाईट नीले रंग की जींस, सफेद बॉडी फिट शर्ट और सफेद रंग के हाई हील के सैंडिल पहने हुए थे। मेरी शर्ट बूब्ज़ से बहुत टाईट थी ऐसा लग रहा था कि मेरे बूब्ज़ शर्ट के बटन तोड़ कर बाहर निकल आएंगे और शर्ट थोड़ी झीनी थी, मेरी नीले रंग की ब्रा नीचे से दिख रही थी। उसने चश्मा नीचे सरका कर मेरे बदन को ऊपर से नीचे नक निहारते हुए उसकी नज़र मेरे बूब्ज़ पर अटक गईं।

उसने मुझे सामने कुर्सी पर बैठने को कहा और मैं सेक्सी अंदाज में गांड हिलाते हुए आगे बढी़ और कुर्सी पर बैठ गई। वो चलते हुए मेरी भरी हुई जांघों को घूर रहा था। उसकी आंखों में भरी वासना मैंने देख ली थी और मैं समझ गई कि मेरा काम निकल आएगा।

जैसे ही मैं कुर्सी पर बैठी तो उसने मेरा नाम वगैरह पूछा और मैंने बता दिया। वो रजिस्टर देखने लगा तभी मैंने अपनी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल लिए और आगे को झुक कर बैठ गई। तभी उसने रजिस्टर देखकर मेरी तरफ देखकर बोला कि तुम्हारी हाजिरी बहुत कम है रोल नंबर नहीं मिल सकता। अपने घरवालों को साथ लेकर आने को कहा लेकिन उसके बोलने में सख्ती नहीं थी और उसकी नज़र बार बार मेरी शर्ट से बाहर छलक रहे बूब्ज़ पर घूम रही थी। मैंने उससे बेनती की कि प्लीज़ रोल नंबर मुझे दे दे चाहे जुर्माना ज्यादा ले ले।

उसने कहा जुर्माना तो इतना ही है लेकिन रोल नंबर लेने केलिए कॉलेज का यही नियम है और उसकी नज़र मेरे बूब्ज़ के बीच की दरार में अटकी हुई थी। मैंने सीधे सीधे बोलना सही समझा और प्रोफेसर से कहा यो आपको चाहिए वो मेरे पास है और जो मुझे चाहिए आपके पास है तो अदला-बदली कर लेते हैं। प्रोफेसर ऐसे बोला जैसे उसकी कोई चोरी पकडी़ गई हो क्या मतलब।

मैंने कहा मतलब साफ है सर मुझे रोल नंबर चाहिए जो आपके पास है और मैंने अपने बूब्ज़ पर हाथ रखकर कहा आपको ये चाहिए जिसको कितनी देर से आप हसरत भरी नज़र से देख रहे हो। वो मेरी तरफ गौर से देखने लगा और मैंने आगे और कहा कि सौदा बुरा नहीं है सर।

वो कुछ देर चुप बैठा रहा और मैं समझ चुकी थी कि काम बन चुका है। लोहा गर्म था और मुझे सिर्फ चोट मारनी थी। मैंने अपनी शर्ट के बटन बंद किए और खड़ी हो कर कहा ठीक है सर अगर नियमों से चलना है तो कल घरवालों के लेकर आ जाऊंगी और बाहर की तरफ चलने लगी। जैसे ही मैं पीठ घुमा कर चलने लगी तो पीछे से बोला अरे डियर सुनो तो। मैंने कहा मैं सुनने ही आई थी लेकिन आप बोले ही नहीं। वो बोला कि वो सोच रहा था कि कहीं चला जाए या कॉलेज के किसी कमरे में कर लें।

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