Mere Dost Ki Maa – Vimala Devi

Dilwala Rahul 2016-06-04 Comments

Mere Dost Ki Maa, Vimala Devi – Indian Sex Stories

दिलवाला राहुल का आप सभी लण्डधारियों और चूत की रानियों को एक बार फिर से सलाम.

{** विशेष सूचना – दोस्तों, मेरी कहानी “देहरादून की आशा भिखारन” का तीसरा भाग में आपके समक्ष जल्द ही रखूंगा, कृपया इन्तजार करें **}

ये कहानी जो मैं आज लिखने जा रहा हूँ ये मेरे पक्के दोस्त बबलू की माँ विमला देवी के साथ में हुयी घटना है. आप सभी से निवेदन है की इस कहानी को पूरी पढ़ने के पश्चात ही आप सभी विमला देवी के स्तनों, चूत और कूल्हों की कल्पना करके पानी निकालें.

बबलू मेरे गाँव का पुराना पक्का दोस्त है, मैं काफी समय पहले शहर में शिफ्ट हो गया था, लेकिन अचानक मुझे किसी कारणवश गाँव में जाना पड़ा, गाँव में मेरे बड़े बड़े खेत हैं, दरअसल उन्ही खेतों के काम के लिए मुझे गाँव जाना पड़ा.

जब मैं गाँव पंहुचा तो देखा एक पतला सा काला कलूटा लड़का, उम्र लगभग मेरे बराबर 27 साल, गाल अंदर धसे हुए, आँखों के नीचे काले गड्ढे पड़े हुए, दिन दोपहर की गर्मी में एक पेड़ के निचे छाँव में बैठकर चिलम पी रहा था, पहले मेने उसे पहचान नहीं, मेने सोचा कोई मजदुर होगा, लेकिन उसने मुझे तुरंत पहचान लिया.

बबलू- ओर राहुल भाई कैसा है? बहुत दिनों बाद आया गाँव.

मैं- यार मेने तुझे पहचाना नहीं ?

बबलू- तू भी भेनचोद, दोस्त को भूल गया, भोसडीके बबलू हूँ, याद है बचपन में हम सरला बाइ के दूध देखकर अपना हिलाया करते थे ?

मैं- ओह भोसड़ीचोद बबलू, हरामी कैसा है तू? और ये क्या हालात बना दी अपनी तूने, चुतीया लग रहा है, भिखारी सा हो गया तू.

बबलू- तू मजाक बना ले भेन के लोडे, सुल्फा पी पी कर हालत ख़राब हो गयी यार सही में, पैसों का जुगाड़ नही हो पाता, माँ के गहने भी बेच दिए मेने बहिनचोद.

मैं- ये गलत बात है यार, विमला चाची कैसी है ? तबियत ठीक है ?

बबलू- हाँ यार ठीक ही है, बाप तो शहर चला गया था अभी तक लौट कर नहीं आया, वहां दूसरी शादी कर दी चोद्दे ने, माँ को अकेला छोड़ दिया, चल भाई घर चल, हमारे घर रहियो.

मैं- हाँ बिलकुल भाई चल, रात में दारु पिएंगे.

(दारु का नाम सुनकर बबलू के मुह में पानी आ गया, हम फिर बबलू के घर जाते हैं, उस समय घर पर कोई नहीं था)

मैं- चाची कहाँ है बे ?

बबलू- खेत में गयी होगी झाड़ काटने. आती होगी अभी, तू आराम कर तब तक मैं बाजार जाता हूँ कुछ समान ले आऊं. और सुन लोडे, मुझे देर हो जायेगी क्योंकि बाजार काफी दूर है यहाँ से. रात तक पहुँचूँगा, माँ आये तो बता देना.

मैं- ठीक है भाई, जल्दी आईयो.

(बबलू फिर अपनी एटलस साइकिल में चला जाता है, कुछ देर बाद एक सांवली, मोटी सी सुडौल औरत, उम्र लगभग 50 साल, लाल साड़ी और काला ब्लाउज पहने, अपने सर पर लकड़ियाँ लादे हुए, बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए, पसीने से तर बदर, घर की और आती है, ये सेक्सी मोटी बड़ी उम्र की औरत और कोई नहीं बल्कि मेरे पक्के दोस्त बबलू की कामुक मोटी ताज़ी माँ विमला देवी है..

जिसके ब्लाउज का गला काफी खुला है, जिसमे से उसके स्तनों की काली घाटी का नज़ारा साफ़ साफ़ दिख रहा है, यह दृश्य देखकर मेरा लण्ड जोर जोर से झटके मारने लगा, विमला के माथे से पसीने की बूंदे उसके गालों से होते हुए, फिर गले से और अंततः स्तनों की घाटी में समा रही थी, बहुत ही मनमोहक और लण्डमोहक दृश्य था, अचानक विमला की नज़र मुझ पर पड़ी)

विमला- अरे राहुल बेटा, तू कब आया, और बबलू कहाँ है ?

(मैंने श्रद्धा भाव से विमला के पैर छुए और प्रणाम किया, विमला ने मुझे आशीर्वाद दिया, और मुझे गले से लगा लिया जिसके फलस्वरूप उसका पसीना मुझे भी लग गया और जब मैं विमला के गले लगा तो उसके पसीने की भीनी भीनी खुशबू कम गंध ने मुझे पागल कर दिया, उसके कड़क निप्पल उसके ब्लाउज से दिख रहे थे क्योंकि उसने ब्रा नहीं पहना हुआ था, गाँव में अक्सर कोई भी औरत ब्रा नहीं पहनती थी)

विमला- कैसा है बेटा तू ? तू तो बड़ा हो गया रे, और तंदरुस्त भी, एक बबलू को देख, गलत संगत में पड़ गया है, उसका शरीर कमजोर हो गया सुल्फा पी कर.

मैं- हाँ चाची, मैं जब आया वो सुल्फा पी रहा था, मेने मना भी किया लेकिन नहीं माना.

विमला- तू तो हीरो हो गया शहर में रहकर, मुझे भी ले चल अपने साथ.

(चाची मजाक के मूड में थी, और मुझ से शरारत कर रही थी, मेने भी मौके का फायदा उठाया)

मैं- चल ले चाची मेने कहाँ मना किया, लेकिन मुझ से शादी करके चलियो.

विमला- चल हट बदमाश, शहर जाकर बदमाश हो गया तू.

मैं- मैं तो मजाक कर रहा हूँ चाची, गुस्सा न हो.

विमला- मैं तेरे लिए खाना बना दूँ, तू थक भी गया होगा, आराम कर लेना.

मैं- हाँ बना दे खाना, फिर खाने के बाद आराम कर लूंगा, तू सुना चाची कैसी है तू ? चाचा आता है घर ?

विमला(उदास होकर)- अरे वो कहाँ आता है कलमुहा, दूसरी शादी करके बैठा है सहर में, मेरी जिंदगी नरक बना दी उस आदमी ने तो.

मैं- कोई बात नहीं चाची, कभी कभी जीवन में ऐसी विकट परिस्थिति आती है, हमें बड़ी होश्यारी और सूझबूझ से उसका सामना करना चाहिये, मैं हूँ चाची तेरे साथ तू चिंता मत कर.

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