Jindagi Ki Kahani – Part II

contents.dk 2015-09-29 Comments

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अपने आप को संभालते हुए राजेश उस साए की तरफ बड़ने लगा। कोई 15-20 कदम की दूरी रह गयी थी.. जब वो साया खड़ा हो गया.. अचानक फिर से सारी जगह सफेद धुएँ से भर गयी.. राजेश को कुछ नज़र नही आ रहा था.. धड़कते दिल से वो आगे बड़ा.. कुछ ही देर में धुआँ फिर से छट गया.. और वो भयानक साया गायब था पर सामने वही लड़की ज़मीन पे पड़ी थी जिसके चारो तरफ खून ही खून था..

राजेश उसके पास पहुँचा.. और जैसे ही उसकी नज़र उस लड़की पे पड़ी वो चीख उठा.. ‘न्ह्ह्हह्ह्ही’

उसे यूँ लगा जैसे उसे कोई हिल्ला रहा हो.. सारा जिस्म पसीने से भरा हुआ था.. राजेश की आँख खुलती है और सामने उसकी माँ थी।

‘क्या हुआ बेटा.. तुम चिल्लाए क्यूँ?.. कोई सपना देखा क्या.. ये तुम पसीने से नहाए हुए पड़े हो’

राजेश कुछ नही बोलता बस फटी आँखों से अपनी माँ को देख रहा था।

तब तक राजेश के डैड भी उसके कमरे में आ गये थे।

‘क्या हुआ ब्रेव मेन?’

‘हाँ हा.. कुछ नही डैड.. शायद कोई बुरा सपना था’ राजेश अब तक संभाल गया था।

समय देखा सुबह के 4 बाज चुके थे.. अब सोने का वक़्त नही रहा था।

आरती : आप इसके पास बैठिए.. मैं चाये बना के लाती हूँ।.. पर जाने से पहले वो राजेश के चेहरे को अच्छी तरहा टावल से पोंच के गयी।

आरती कमरे से बाहर चली गयी और उसके डैड वहीं बिस्तर पे उसके पास बैठ गये।

‘मैं फ्रेश होके आता हूँ डैड’ कह कर राजेश अपने कमरे में बने बाथरूम में चला गया.. उसे याद था तो सिर्फ़ वो लाल अंगरों जैसे जलती हुई आँखें.. बस और कुछ भी उस सपने के बारे में उसे कुछ भी याद ना था।

जब तक वो फ्रेश हो कर बाहर आया.. तब तक आरती तीनो के लिए चाये ले कर आ गयी थी।

चलिए देखते हैं आज अजय के साथ क्या हुआ।

अजय कामिनी के साथ सुबह के शो में एक हाल में घुस गया और मुवि देखते हुए उसके साथ मस्ती बाजी कर रहा था। की हाफ टाइम होने से पहले ही कामिनी को छोटी बहन का कॉल आ गया.. की उसकी माँ सीडीयों से गिर गयी है.. ज़यादा चोट तो नही आई पर पाँव में काफ़ी मोच आई है.. नतिजन अजय को कामिनी को उसके घर छोड़ना पड़ा और वो जानता था बाकी दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड्स के साथ दिन बिता रहे होंगे तो किसी तो डिस्टर्ब ना कर वो अपने घर की तरफ बड गया।

अजय सुबह जब घर से निकला था तो ये बोलके गया था की वो देर शाम तक वापस आएगा.. यानी उसके घरवालों को ये यकीन था की अजय शाम के 7 बजे से पहले घर नही आएगा। पर कहते हैं ना होनी को कोई नही ताल सकता.. वक़्त किस के सामने कब कों सी तस्वीर सामने रख दे ये कोई नही जानता।
अजय जब घर पहुँचा तो देखा चाचा की कार घर के पास पार्क हुई है.. ऐसा तो कोई प्रोग्राम नही था चाचा का घर आने का.. होता तो माँ ज़रूर बताती और उसे आज बाहर नही जाने देती। खैर कोई ज़रूरी काम होगा पापा से ये सोच उसने घर की बेल बजा दी। कुछ देर तक जब कोई जवान नही मिला यानी किसी ने दरवाजा नही खोला तो उसने फिर बेल बजाई.. पर फिर भी कोई जवाब नही।

अजय परेशन हो गया.. चाचा भी आया हुआ है फिर भी घर की बेल का जवाब कोई भी नही दे रहा, अजय के पास एमर्जेन्सी के लिए घर की चाभी हुआ करती थी.. उसने उस चाबी से घर का दरवाजा खोला तो घुसते ही जो हॉल पड़ता है उसमे अंधेरा था.. एक एक बात अजय को अचांबित करती जा रही थी..

आख़िर ये सब क्या है.. हॉल से बाहर निकलते ही एक गलियारा आता है जहाँ से किचन और दूसरे कमरों की तरफ जाने का रास्ता है.. अजय अपनी माँ को खोजते हुए उनके कमरे की तरफ बड गया.. अंदर से खिलखिलाने.. सिसकियों और आँहों की आवाज़ें आ रही थी.. कमरे का दरवाजा ढंका हुआ था.. मतलब अंदर से लॉक नही था।

अजय ने धीरे से दरवाजा पुश किया और आँखों के सामने जो नज़ारा था.. वो किसी हाइड्रोजन बॉम्ब से कम नही था उसके लिए.. उसके सारे संस्कार स्वाहा होते चले गये.. जिसकी वो पूजा करता था.. उसकी मूर्ति जो उसके दिल में बसी थी वो टूटती चली गयी.. उसे अपनी आँखों पे विश्वास नही हो रहा था.. की उसके माँ बाप और चाचा चाची ऑर्जी (नंगा नाच) करते हैं.. चाचा उसकी माँ पे चड़ा हुआ था और चाची उसके पापा पे चड़ी कूद रही थी। चारों के मुँह से सिसकियाँ और आँहें निकल रही थी।

ये सिसकियाँ अजय के कानो में पिघले लोहे की तरह घुस रही थी.. उसकी टाँगों ने उसका साथ देना छोड़ दिया था.. अंदर होती वासना का नंगा नाच वो ज़यादा ना देख सका और नम आँखों, काँपते कदमो से वो घर के बाहर निकल गया.. कदम कहाँ जा रहे थे उसे मालूम ना था.. बस वो चलता ही जा रहा था चलता ही जा रहा था।

पढ़ते रहिये.. क्योकि कहानी अभी जारी रहेगी।

कहानी पढने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में जरुर लिखे। ताकी हम आपके लिए रोज और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें। डी.के

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