Najayaz Sambandh – Masti Ya Barbaadi

neeliamforlove 2017-03-10 Comments

कहानी पुरुष के माध्यम से – नमस्कार मेरा नाम नील है यह जो मै कहानी लाया हु उसमे नाम का प्रयोग मेरा कर रहा हु पर यह कहानी सही में मेरे पे आधारित नहीं है, ऐसी घटना मेरे साथ नहीं घटी पर सिर्फ नाम मेरा इस्तेमाल कर रहा हु और इस कहानी मे मेरा किरदार खलनायक जैसा है.

अब कहानी पे आते है..

युवा अवस्था में प्रवेश करते ही मै सुंदरता और हुस्न से आकर्षित होने लगा, कभी ऐसा लगता काश कोई साथी मिल जाये जैसे की गर्लफ्रेंड, कभी लगता जल्द शादी हो जाये पता नहीं मन बावरा हो चला था,.

ऐसे में पोर्न विडियो की वेबसाइटों देखने की और सेक्स कहानी पढने की आदत लग गयी फिर तो क्या था.

हर औरत खुबसूरत लगने लगी काली गौरी जवान और शादीसुदा, खास कर शादीशुदा औरतो का फिगर देख के लगता थोड़ी देर में मेरा शरीर फट जायेगा, क्या सही क्या गलत कुछ सूज नहीं रहा था,. यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

स्कूल में टीचर्स को अनजाने में छू ने की कोशीस करता, होमवर्क के बहाने नजदीक आये वैसा करता था, सोसायटी की औरतो से जानबुझ के टकराने की कोशिश करता वह भी बच्चा समज के ध्यान में न लेती,.

शाक मार्केट जाके जो औरते और लडकिया जुक कर शाक की खरीददारी कर रही होती वहा से गुजर कर उसके पीछे छू ता तब ऐसा लगता यही पकड़ के कुछ कर दू, जब कोई खुबसूरत भाभी अपने पति के साथ जा रही होती तब उस आदमी से इतनी जलन होती की उसके सामने इस भाभी को चोद दू.

ऐसे ही स्कूल में से कॉलेज लाइफ में आ गया अब तक काफी लडकियों को गर्लफ्रेंड्स बना चूका हु,और काफी ओ के साथ मजे भी किये ,
कॉलेज लाइफ में एक घटना घटी जिसके बारे में बताता हु.

जब में कॉलेज में पढाई के लिए शहर आया तब मैंने एक सोसाइटी कहो चोल कहो या फिर रहने के क्वाटर्स,.

सब आमने सामने अपार्टमेन्ट थे और हर अपार्टमेन्ट में चार माले थे हर माले पे दो या किसी में चार फ्लेट टाइप थे जिसमे चार फ्लेट वालो में सिर्फ एक रूम बाथरूम और किचन मेने उस चोल में एक रूम वाला फ्लेट भाड़े पे लिया,.

बारिश का मौसम था एक दिन जब में बोर हो रहा था तब छत पे बैठने चला तब हल्की हल्की बारिश चालू हुई में छत पे बैठे बारिस का आनंद ले रहा था तब मरे पीछे के अपार्टमेन्ट की छत पे एक औरत कुछ सुखाने डाला होगा वह दौड़ती दौड़ती लेने आई मेरी नजर उनपे पड़ी शादीशुदा थी, काफी खुबसूरत और पतली नहीं पर मादक फिगर था उसने भी मुझे देखा पर जैसे लोग सामने देख के चलते बनते है वैसे पर मेरा उसपे दिल आ गया,.

फिर में उसको फॉलो करने लगा जैसे की वह दिन भर क्या करती है, सुबह वह बालकनी में कपडे सुखाने आती तो में अपनी पीछे की बालकनी से उसे देखता रहता, पीछे वाले अपार्टमेन्ट का रस्ता मेरे अपार्टमेन्ट के बाजु से था, जब वह दूध लेने जाती तब में अपार्टमेन्ट से बाहर निकल कर उसके सामने से गुजरता, वहा चोल के गेट के सामने एक गार्डन था लोग उसमे कसरत करने आते थे वोक वगेरा और भाभी भी आती थी में कभी 8 बजे से पहले उठा नहीं पर इसके पीछे में सुबह 5 बजे उठने लगा,.

एक बार वह अपने पति के साथ बाहर जा रही थी तब उसकी सास ने पुकार के बोला की हर्षा बाजार से हिंग लेके आना तब पता चला की उसका नाम हर्षा है, सब अपार्टमेन्ट फ्लैट नंबर के साथ नाम लिखा हुआ होता है मैंने पता किया उसके पति का नाम क्या है फिर फोन डिक्सनेरी से उसका नंबर पता किया काफी बार लगाया कभी उसका पति तो कभी उसकी सास फोन उठाते तो कभी उसका 6 साल का बेटा फोन उठाता..

नसीब के जोर से एक बार हर्षा ने फोन उठाया उसके हेल्लो बोलते ही शायद में एक बार मर के जिन्दा हो गया, शायद मुझे लगा की वह भाप गयी की किसने फ़ोन किया, वैसे उसको पता तो लग गया था की मेरी नियत के बारे में, जब वह बाल धो के सुखाने बालकनी में आती में देखता रहता, फिगर 34-28-34+ था देखते ही नोच के का मन करे, पर जब में रोज हर्षा को रोज देखता वह उसके बाजु के अपार्टमेन्ट में दुसरे माले पे एक बूढ़े दादाजी बालकनी में ही बैठे रहते है वह सब देखते थे पर मेने उसपे ज्यादा ध्यान नहीं देता क्युकी बुढा क्या कर लेगा,.

ऐसे ही दिन गुजरते गये, एक दिन मेरे दरवाजे पे नोक हुयी दरवाजा खोला तो हर्षा भाभी थी, दरवाजा खोलते ही बरस पड़ी उसका गुस्सा सातवें आसमान पे था ,मेरे कदम पीछे पड़ने लगे.

हर्षा : क्या लगा रखा है यह सब ?

में: क्या ?

हर्षा : अब नासमझ बन रहे हो … क्या में नहीं जानती तुम क्या कर रहे हो में तो सिर्फ चुप इसलिए थी की मेरा लेनादेना नहीं है पर अब मेरे घर पे फोन करने लगे हो, क्या समझ के रखा है मुझे ?? क्या हर औरत रंडी होती है?

मै: मैंने कब ऐसा कहा पर माशूका तो हो शकती है ना.

हर्षा भाभी : ओर लाल हो गयी ,,, मुह बंध रखो पर में उसके सवाल का जवाब निडर हो के दे रहा था .

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