Teachers Ki Hadtaal Aur Meri Chudai

Arashdeep Kaur 2018-01-15 Comments

हैलो दोस्तो, मैं अर्शदीप कौर उर्फ चुद्द्कड़ अर्श आपके सामने एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूं। कहानी शुरू करने से पहले सभी पाठकों को प्यार भरा सलाम और खड़े लंडों को चूमते हुए बहुत सारा प्यार।

मैं उम्मीद करती हूं कि इस कहानी को पढ़ने के बाद सभी लड़कों, शादीशुदा मर्दों और बड़ी आयु के मर्दों के लंड टाईट हो जाएंगें। जो मर्द और औरतें चुदाई का जुगाड़ कर सकती हैं वो चुदाई करेंगे और जो नहीं कर सकते वो लड़के सपने में मुझे चोदते हुए लंड हिलाएंगे तथा लड़कियां दमदार लंड को सपने में सोच कर चूत में ऊंगली करेंगी।

ये कहानी कुछ महीने पहले की है। मैं अंबाला किसी काम से आई थी। वहां मेरा काम खत्म होने के बाद आखरी बस मिल गई और मैं टिकट लेकर बस में चढ़ गई। उस टाईम शाम के सात बज रहे थे और अंधेरा हो चुका था। मैंने उस टाईम सफेद टाईट शर्ट, काली जींस, काले हाई हील के सैंडिल, सफेद ब्रा एवं पैंटी पहन रखे थे।

बस में भीड़ होने की वजह से मुझे खड़ी होना पड़ा। पहले तो भीड़ ठीक-ठाक थी लेकिन बस के चलने तक भीड़ काफी ज्यादा हो गई और लोग एक-दूसरे के बीच फंस कर खड़े थे। मेरे आगे-पीछे पीछे दोनों तरफ मर्द खड़े थे और मैं उनके बीच फंसी हुई थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

पहले तो मुझे लगा कहां आ गई वहीं अंबाला में अपनी सहेली के घर रुक जाती लेकिन कुछ देर में पिछले मर्द का लंड खड़ा होकर जींस के ऊपर से मेरी गांड पर टकराने लगा। मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा और सोचा कि सफर मजेदार रहेगा। करीब साढ़े 7 बजे बस चल पड़ी और लाईटें बंद हो गईं। जैसे ही लाईटें बंद हुईं पीछे वाले मर्द की हलचल बढ़ गई।

वो मेरी गांड पर अपना लंड दबाने लगा और हल्के से अपने हाथ से मेरी गांड सहला देता। शायद वो डर रहा था इसलिए जब मैं हिलती तो वो थोड़ा पीछे हट जाता। मैंने पहले उसका डर दूर करने की सोची। इस बार जब उसने मेरी गांड पर लंड दबाया तो मैंने भी अपनी गांड पीछे कर दी और उसके लंड पर धीरे-धीरे अपनी गांड हिलाने लगी।

उसने इस बार जोर से मेरी गांड पर हाथ रखा और मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रख दिया। इसी बीच मैं अपने बूब्ज़ आगे खड़े मर्द की पीठ पर दबा रही थी। वो भी पीछे दबा डालकर अपनी पीठ से मेरे बूब्ज़ दबा रहा था। मुझे बहुत मस्ती चढ़ रही थी लेकिन पहले ही स्टॉप पर वो दोनों उतर गए और मैं निराश सी हो गई। कुछ देर मैं ऐसे ही खड़ी रही और कंडक्टर सब को साईड पर करता हुआ आगे चला गया।

इसी हिलजुल में मैं एक सीट से सटकर खड़ी हो गई। करीब दो मिनट के बाद मुझे अपनी जांघों पर कुछ रेंगता महसूस हुआ जिसमें कंपन थी। मैंने नीचे देखा अंधेरे में साफ तो नहीं दिख रहा था पर वो किसी मर्द का हाथ था। मैंने गौर से देखा वो सीट पर एक लड़के का हाथ था जो मेरी जांघों पर था लेकिन घबराहट की वजह से उसका हाथ कांप रहा था।

मैंने सोचा अगर मैंने कुछ नहीं किया तो ये लड़का कहीं घबराहट की वजह से रुक न जाए। मैंने पर्स ठीक करने के बहाने मुंह नीचे करके लड़के से कहा मर्द बनकर हाथ लगाओ डर क्यों रहे हो। मेरे ऐसे कहने से उसका डर निकल गया और वो अपना हाथ मेरी चूत तक अपना हाथ घुमा कर मेरी जांघों को सहलाने लगा।

बस में पूरी तरह अंधेरा था तो हम दोनों के सिवाय और किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था। कुछ देर बाद एक स्टॉप आया और उस लड़के के साथ बैठा आदमी नीचे उतर गया। मैं उस सीट पर बैठ गई और शीशे वाली तरफ बैठ गई।

जब तक बस के अंदर लाईटें जलती रहीं तब तक हम बहुत शराफत से बैठे रहे। जैसे ही बस चली हम दोनों में फिर से आग जलने लगी। उसका हाथ मेरी जांघों को सहलाने लगा और मैं उसकी जींस के ऊपर से उसके लंड को सहलाने लगी। बातों से पता चला कि उसका नाम रजत है और वो पटियाला के पास एक गांव में कुछ दिन अपने किसी रिश्तेदार के घर कुछ दिन देख रेख केलिए जा रहा है क्योंकि उसके रिश्तेदार कुछ दिनों केलिए बाहर गए हैं और खाली घर की जिम्मेदारी उस पर है।

ऐसे ही हम पटियाला पहुंच गए तभी पता चला कि अध्यापकों ने अपनी मांगे मनवाने हेतु सड़क बंद कर रखी है। अब बस आगे नहीं जा सकती थी और मुझे पटियाला में रुकना ही था। मैंने अपनी एक सहेली को फोन करने की सोची लेकिन रजत बोला अगर मेरे साथ रुक जाती तो। मैंने भी उसके साथ जाना सही समझा क्योंकि मुझे सेक्स की तलब लग चुकी थी और तीन तीन मर्दों की छेड़ छाड़ से काफी गर्म भी हो गई थी।

मैंने उसके साथ जाने को हां कह दिया और घर फोन कर के बोल दिया के सहेली के घर रुकी हूं कल को घर पहुंच जाऊंगी। पापा ने कहा ठीक है ध्यान से जाना तो मैंने कहा मेरी सहेली और उसके पापा मुझे लेने आ रहे हैं। पापा निश्चिंत हो गए और मैंने रजत को चलने को कहा।

टाईम 9 से ऊपर हो चुका था और काफी अंधेरा भी था। रजत ने मुझे बस स्टैंड की बैक साईड पर वेट करने को कहा और वो बाईक लेने चला गया। कुछ ही मिनट में वो बाईक लेकर मेरे पास आ गया और मैं उसके पीछे बैठ गई।

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