Vidhwa Teacher Ke Sath Pehli Baar – Part 2

Deep punjabi 2018-03-13 Comments

This story is part of a series:

वो — इसे ऊँगली नही वो मूसल लण्ड चाहिए। अब डाल दो, बस और सब्र नही होता। पिछले एक साल से चुदासी हूँ। बदनामी के डर से किसी को भी प्रपोज़ नही किया। मेने अपना स्वभाव ही इतना कड़क बना लिया के जो मेरे बदन को घूरता है। उसकी जान न निकाल लू।

अब थोडा थोडा समझ में आ रहा था के मैडम इतने कड़क स्वभाव की क्यों है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

मैडम ने इशारे से उनके बेड का दराज़ खोलने का इशारा किया। मैंने ऊपर लेटे ही, दराज़ खोलकर उसमे पड़ी वेसलिन की डिब्बी निकाल कर उनको दे दी। मैडम उठकर बैठ गयी और डिब्बी खोलकर मेरे तने हुए लण्ड पे वेसलिन का लेप लगाने लगी।

फेर मुझे डिब्बी पकड़ाते हुए बोली, ये लो अब तुम भी मेरी चूत में अंदर गहरायी तक लगादो। ताजो मुझे दर्द न महसूस हो और तुम भी आसानी से मेरी चूत का मज़ा ले सको। मुझे मैडम की बात जच गयी और मेने बेड की शीट के एक पल्ले से पहले चूत साफ की और फेर ऊँगली से गहरायी तक वेसलीन लगा दी।

मैडम बोली, मैं ऊपर आती हूँ। तुम निचे आओ। मैं उनका आदेश पाते ही लेट गया और मैडम मेरे ऊपर आ गयी। उसने पहले हाथ से मेरे लण्ड के कड़कपन का अंदाज़ा लिया और लण्ड को जड़ से पकड़कर डमरू की तरह हिलाने लगी। शायद लण्ड का कड़कपन कम था और तब तक हिलाती रही जब तक उसे विश्वाश न हो गया के अब सीधा चूत में घुस सकता है।

फेर मैडम अपनी चूत को दोनों हाथो से खोलकर मेरे तने हुए लण्ड पे सेट करके हल्के हल्के निचे की और दबाव बनाती गई, और ऐसा तब तक करती गयी जब तक पूरा जड़ तक लण्ड मैडम की चूत में न घुस गया। चाहे हमने वेसलिन भी लगाई थी फेर भी मैडम की एक साल से लण्ड से वंचित पड़ी टाइट चूत से मेरा लण्ड छील गया।

मुझे महसूस हुआ के मेरे लण्ड में हल्का हल्का दर्द हो रहा है। मेंने उनहे बताया तो उसने कहा, के तुम्हारा पहला सेक्स है शायद इस लिए हो रहा है। इसके बाद मैडम ने अपनी पोज़िशन सम्भाली और मेरे लण्ड पे उठक बैठक करने लगी। सेक्स के दौरान उसने मुझे एक बार भी ऐसा महसूस नही दिया के मैं इस खेल में नया खिलाडी हूँ।

मतलब के उसका बर्ताव ऐसा था मानो हम बरसो से पति पत्नी हो। वो कभी मेरा मुख चूमती तो कभी अपने मम्मे मेरे मुंह में डालती। शायद उसको ये डर था के मैं उस से पहले न झड़ जाऊ या कहलो वो मुझे मज़ा दिलाने में अकेली मेहनत कर रही थी । जब मुझे भी खुमार चढ़ने लगा तो मैं भी मैडम को कमर से पकड़कर निचे से अपनी कमर हिलाकर मैडम की चुदने में मदद करने लगा।

हमारी ये कब्बडी करीब 10 मिनट तक चली होगी के उनका शरीर अकड़ने लगा। वो अजीब सा मुंह बनाने लगी। मेरा फोरप्ले में रसखिलत होने के कारण मैं अब भी टिका हुआ था। उसके झटके लगाने की स्पीड बढ गई और एक लम्बी चीख से वो झड़ गयी और मेरी छाती पे बेसुध होकर गिर पड़ी।

उसकी सांसे तेज़ चल रही थी। उधर मेने भी झटके तेज़ कर दिए और मैं भी अगले 2-3 मिनट तक उसकी चूत में झड़ गया। उसके चेहरे पे सन्तुष्टि के भाव साफ दिखाई दे रहे थे। काफी समय तक हम दोनों ऐसे ही लेटे बाते करते रहे।

वो – “अमन, आज पूरे एक साल बाद मुझे सेक्स की तृप्ति हुई है। सेक्स करने को तो मैं किसी से भी कर सकती थी लेकिन अपनी, सुसराल और मायके की इज़्ज़त का ख़्याल रखते हुए मैंने अपनी खुवाहिशे मन में ही दबा ली। मेरे मायके घर वाले तो मेरे देवर से मेरी शादी करना चाहते थे..

लेकिन उसका स्वभाव मुझसे मिलता नही था। वो थोडा नशेड़ी टाइप का लोफर लड़का था। मेरे पति के ज़िंदा होते हुए भी उसकी मुझपे गन्दी नज़र थी। एक बार तो उसने मुझसे ज़बरदस्ती करने की भी कोशिश की। लेकिन वो कामयाब नही हो पाया। बस उसी दिन से उसकी मेरी कभी बनी नही। सो मैं खुद को सम्भालने और बिज़ी रखने के लिए सुसराल वाला घर छोड़कर नौकरी की तलाश में निकल पड़ी..

काफी जदो जहद के बाद मुझे एक स्कूल में टीचर की नोकरी मिली। वहाँ भी स्कूल का मेल स्टाफ मुझपे बुरी नज़र रखने लगा। उनसे छुटकारा पाने के लिए मेने वो नौकरी छोड़ दी। करीब 3 महीने बच्चो को ट्यूशन पढ़ाकर खुद का गुज़ारा चलाया..

बाद में आपके स्कूल के प्रिंसिपल के जाने का पता चला। मेने पढ़ाई में बी एड की डिग्री की हुई है। सो मैंने यहां किस्मत अजमानी चाही। तो मेरी दूर की रिश्तेदारी में सभी टीचरो की ड्यूटी लगाने वाला चाचा लगता है। मेने उसे फोन करके अपनी समस्या बताई तो उसने मुझ विधवा पे तरस खाकर मुझे नौकरी पे आने की इज़ाज़त दे दी..

इस लिए मैं शुरू से ही कड़क स्वभाव की बन कर आई। तुम्हे देखकर पता नही क्यों दिल में एक कसक सी उठी और कामवासना का तूफान उमड़ आया । बहुत दिनों से तुम्हे बताने की कोशिश कर रही थी। लेकिन बार बार कोई न कोई बीच में आ जाता था। सो मेने तुम्हे घर पे लेकर आने का प्लान बनाया। बस यही मेरी कहानी है।”

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