Papa Ke Dost Ki Naukri Bachayi

Arashdeep Kaur 2017-01-31 Comments

Desi Sex Stories

हैलो दोस्तो, मैं अर्शदीप कौर उर्फ चुद्दकड़ अर्श फिर से हाजिर हूं अपनी चुदाई की एक और कहानी के साथ। सभी पाठकों को मजे प्यार भरा प्रणाम। मेरी कहानियों को पढ़ने केलिए चूत एवं गांड फैला कर बहुत बहुत आभार। ये कहानी मेरे और मेरे पापा के दोस्त के बॉस की मुझे चोदने की है।

मेरे पापा के दोस्त का नाम अनिल है और वो एक प्राईवेट कंपनी में काम करते हैं। कुछ महीने पहले वो हमारे घर आए और पापा ने मुझे बुलाया। मैं उनके पास गई और बैठ गई। अंकल ने मुझे बताया कि उनको कुछ प्रोब्लम थी और वो कुछ दिन दफ्तर नहीं जा पाए। उनके बॉस ने उनको लैटर दिया है और वो उनको नौकरी से निकाल देगा।

उन्होंने ने बताया कि उनके बॉस की पोती मेरी क्लास में पढ़ती है और मैं उससे बात करूं कि उसका दादा अंकल को नौकरी से न निकाले। वो लड़की मेरी दोस्त तो नहीं थी लेकिन मैं उसको जानती थी और मैंने उससे बात करने को हां बोल दिया।

अगले दिन मैं उस लड़की से बात की लेकिन उसने यह बोल कर मना कर दिया कि वो अपने दादा से उनके दफ्तर की बात नहीं करती। उसने मुझे अपने दादा से बात करने को बोला और चली गई। मैंने उसके दादा को देखा था, वो हर रोज उस लड़की को कॉलेज छोड़ने और लेने आता था।

उसका नाम प्रवीन और आयु करीब 70 साल है। उसका सिर गंजा है और चेहरा क्लीन शेव है। उसका कद मुझ से छोटा है कद करीब 5 फीट 4 इंच है। वो दिखने में गोल मटोल है और तोंद बड़ी है। दिखने में कुछ खास नहीं है और आंखों पर चश्मा लगा हुआ है। वो बहुत ही ठरकी किस्म का बूढ़ा है।

वो अपनी पोती को लेने टाईम से पहले पहुंच जाता है और लड़कियों के बूब्ज़ और गांड को देखता रहता है। जब वो लड़कियों को देखता है तो उसके चेहरे और आंखों में काम वासना झलकती है। वो गाड़ी मैं बैठे-बैठे लड़कियों को देखकर अपना लंड सहलाता रहता है।

जब वो अपनी पोती को लेने कॉलेज आया तो मैं उससे मिलने चली गई। जब मैं उसके पास गई तो वो लड़कियों को घूर रहा था। मैंने उसको हैलो बोला और अंकल के बारे में बात की। मैं खिड़की के शीशे वाली जगह पर झुक कर बात करने लगी और टॉप से मेरे बूब्ज़ की गोलाइयां दिखने लगी। मुझ से बात करते समय उसकी नज़र मेरे टॉप के अंदर मेरे बूब्ज़ पर थी। कुछ देर बात करने बाद उसने मुझे अपना कार्ड दिया और बोला मुझे कल तीन बजे के बाद दफ्तर में मिलना, वहीं बात करेगा और फाईल भी देख लेगा।

मैं उसी टाईम समझ गई कि उसने क्या बात करनी है और कौन सी फाईल देखनी है। मैंने कल मिलने को बोला और वहां से घर आ गई। शाम को अंकल आए और मुझसे पूछा। मैंने अंकल और पापा को बोला कि मैं कल को उसकी पोती के साथ उनके बॉस को मिलने जाऊंगी फिर मालूम होगा वो क्या कहता है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

मैंने झूठ बोला था क्योंकि उसने मुझे अकेले बुलाया था। रात को लेटे-लेटे मुझे अंकल के बॉस के कद के बारे सोच कर हंसी आ गई। मैं सोच रही थी वो मेरे होंठों को कैसे चूमेगा, क्या चुम्मा लेने केलिए सीडी़ लगाएगा। जब मुझे चोदेगा तो उसकी तोंद कैसे हिलेगी। यह सोचते सोचते कब मुझे नींद आ गई पता नहीं चला। सुबह उठ कर मैंने अपनी चूत के बाल साफ किए और नहा कर रोज वाले कपड़े पहन लिए।

मैं कॉलेज केलिए घर से निकल आई और शहर में आकर कपडो़ं की दुकान में आ गई। मैंने वहां से सफेद जींस, लाल बॉडी फिट शर्ट, राल हॉफ़ ब्रा और लाल पैंटी खरीद ली। उसके बाद मैं ब्यूटी पार्लर पहुंच गई और आंटी को अच्छे से तैयार करने को बोला। आंटी ने मेरे बदन के सारे बाल साफ कर दिए और चेहरे का ब्लीच और फेशियल किया। मैंने नए कपड़े पहन लिए और फिर कुर्सी पर बैठ गई।

आंटी ने मेरे चेहरे पर फांउडेशन क्रीम और पाऊडर लगाया। उसने लाल रंग की लिपस्टिक, आई शैडो, काजल, गुलाली और होंठों पर लिप ग्लॉस लगा दिया। दोपहर के ढाई बज गए थे और मैं बिल्कुल तैयार थी। मैंने खुद को आईने में देखा तो मैं एकदम कोई हॉट पोर्न स्टार लग रही थी। मैंने टैक्सी ली और अंकल के बॉस के दफ्तर पहुंच गई।

जब मैं अंदर गई तो वही हुआ जिसका मुझे अंदाजा था। वहां अंकल के बॉस के अलावा कोई नहीं था और दफ्तर सुनसान इलाके में था। मैं दफ्तर के अंदर गई तो वो कुर्सी पर काला कोट पैंट पहने सिगरेट पीता हुआ मेरा इंतजार कर रहा था। मैं दफ्तर के अंदर चली गई, वहां पर एक टेबल, चार कुर्सियां और दीवान लगा हुआ था। अंदर हीटर चल रहा था और गर्मी थी।

वो अपने लैपटॉप पर कुछ देख रहा था और मैंने उसको हैलो बोला। दफ्तर में घुसने से पहले मैंने अपनी शर्ट का एक बटन खोल लिया था जिससे मेरे बूब्ज़ के बीच की लाईन दिख रही थी। उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान आ गई। उसकी आंखों में काम वासना साफ झलक रही थी।

अंकल के बॉस ने मुझे कुर्सी पर बैठने को बोला और मैं उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई। मैंने उससे अंकल की बात की तो उसने कहा वो मैं कर दूंगा। उसने मुझे पूछा क्या मुझे डर नहीं लगा अकेले आने में और क्या मुझे मालूम है उसने मुझे क्यों बुलाया है।

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