Bhoot To Chala Gaya – Part 4

iloveall 2017-05-05 Comments

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राज ने मेरी और देख कर कहा, “डार्लिंग, सोचो मत, पत्ते फ़ैंटो और बाँटो।”

जब मैं हारी तब मैं बड़े ही असमंजस में पड़ गयी की मुझे क्या सजा मिलेगी। समीर ने मुझे फैशन परेड मैं जैसे लडकियां कैट वाक करती हैं, ऐसे चलने के लिए कहा। मैंने बड़ा नाटक करते हुए जैसे लडकियां टेढ़ी मेढ़ी चलती हैं ऐसे चलने लगी और फिर समीर के पास जाकर कूल्हे को टेढ़ा कर रुक गयी और उसे मेरी अंगभंगिमा का नजारा देखने दिया। फिर कूल्हों को हिलाते हुए राज के पास चली गयी। दोनों मर्दों ने खूब तालियां बजायी।

अब मेरे पति राज की बारी थी की वह मुझे हारने पर सजा दे। तब राज ने मुझे एक बड़ी अजीब सजा दी। उन्होंने कहा की मैं समीर के पास जाऊं और उसे गाल पर चुम्बन करूँ। मैं परेशान हो गयी। यह तो ठीक नहीं था। मैंने मेरे पति की और देखा। उन्होंने धीरे से मुझे आँख मारी और आगे बढ़ने को प्रोत्साहित किया। शायद यह उनका समीर को खुश करने का प्लान था।

मैं आगे बढ़ी और समीर के करीब जाकर मैंने समीर के गाल पर अपने होंठ रख दिए और उसे एक गहरा चुम्बन किया। मुझे महसूस हुआ की मेरे समीर को चुम्बन करने से समीर के बदन में भी एक सिहरन सी दौड़ गयी और उन्होंने मेरी कमर पर हाथ रखा और मुझे अपनी और खिंच कर मुझे अपनी बाहों में ले लिया। मैं पागल सी हो रही थी। यह मेरे पति मुझसे क्या करवा रहे थे?

खैर मैंने अपने आपको सम्हाला। तब समीर ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा, “नीना और राज, मैं आप दोनों को अत्यंत ऋणी हूँ। आज आपने मुझे यह एहसास कराया की मुम्बाई में भी मेरी अपनी फॅमिली है।” मेरी और देखते हुए समीर ने कहा, “नीना तुम बड़ी भाग्यशाली हो की राज जैसा पति तुम्हें मिला है।”

तब तक मेरे पति राज और समीर पर वाइन चढ़ने का असर साफ़ नजर आ रहा था। ऐसा लगता था जैसे राज उस शाम की पार्टी को जल्दी में खतम करने के मूड में नहीं थे। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

राज ने समीर की और देखा और पूछा की क्या कॉलेज में उनकी कोई गर्ल फ्रेंड भी थी? समीर ने कंधे हिला कर कहा, “हाँ! थोड़ा बहूत तो होता ही है।”

तब राज ने पूछा, “समीर अभी तो तुम अपनी पत्नी से इतने दूर हो। कभी तुम्हारा मन नहीं करता की कोई स्त्री का साथ मिले?” जब समीर मौन रहे तो राज ने कहा, “भाई, मैं तुमसे थोड़ा अलग हूँ। मैं यह मानता हूँ की स्त्री और पुरुष एक दूसरे के साथ होते हैं तो जीवन में एक अद्भुत उत्साह और उमंग होता है और अगर मन मिलता है तो एक दूसरे का साथ निभाने में कोई बुराई नहीं है। मैं मानता हूँ की ‘भूत तो चला गया, भविष्य मात्र आश है, तुम्हारा वर्तमान है मौज से जिया करो’ मैं यह बात नीना को भी कहता हूँ। मैं मौज से जीता हूँ और चाहता हूँ की तुम और नीना भी मौज से जियो। एक दूसरे के साथ का आनंद लो। छोटी मोटी चिंताओं और मानसिक संकुचितता को दूर रखो।”

मेरे पति शायद समीर से ज्यादा यह बात मुझे सुना रहे थे ऐसा मुझे लगा। मुझे मेरे पति की बातों से ऐसा लगा की वह हम दोनों के बिच की दीवार पूरी तरह से तोड़ना चाहते थे। मैंने समीर की और देखा तो पाया की वह फिर से वही लोलुपता भरी निगाहों से मुझे छुप छुप कर देखने लगे थे। अब वही उनका पुराना नटखट अंदाज दिख रहा था। मेरे छोटे टॉप और भड़कीली वेशभूषा के कारण मैं उन्हें कुछ अधिक ही उत्तेजक लग रही थी।

मैं धीरेसे मेरे पति के पास गयी और उनके बालों को प्यार से सहलाने लगी तब राज मुझे अपनी बाहों में लेते हुए बोले, “समीर, मैं मेरी पत्नी नीना को बहुत प्यार करता हूँ। मैं उसे थोड़ा सा भी दुखी नहीं देख सकता। पर मुझे आजकल एक बड़ी चिंता रहती है।”

समीर ने प्रश्नात्मक दृष्टि से राज की और देखा तो राज ने कहा, “मैं आजकल ज्यादातर पुणे रहता हूँ और काफी काम होने के कारण मुम्बाई ज्यादा आ नहीं पाता। तब नीना यहां अकेली बहुत परेशान हो जाती है। कई बार उसे डिप्रेशन हो जाता है। वह बुरे सपने देखने लगती है। तुम भी यहां अकेले हो।

नीना ने मुझे बताया की तुम्हें बाहर खाने में दिक्कत होती है। तो मैं चाहता हूँ की तुम हमारे यहाँ आओ और शाम का खाना रोज हमारे यहां खाओ। मेरे न रहते हुए भी तुम जरूर बिना हिचकिचाहट के आओ। मैं जब रहता हूँ तो हम दोनों गपशप मारेंगे। मुझे बहुत अच्छा लगेगा। देखो मना मत करना। हाँ अगर तुम्हें नीना का खाना पसंद नहीं है तो और बात है।”

मैंने समीर की और देखा। वह बहुत ही लज्जित लग रहे थे। वह थोड़ा हिचकिचाते हुए बोले, “आप जब हो तो अलग बात है, पर आप ना हो तो? मुझे थोड़ा अजीब लगेगा। एकाध दिन खाना एक अलग बात है, पर रोज?”

राज ने समीर का हाथ अपने हाथों में थामा और बोले, “देखो, हम तुम्हें अपना समझते हैं। तुम नीना का दफ्तर में बहुत ध्यान रखते हो। मैं चाहता हूँ की घर में भी तुम नीना का ध्यान रखो। जहाँ तक रोज खाने की बात है तो चलो तुम एक काम करना, जब मौक़ा मिले तुम सब्जी, राशन बगैर ले आना। अब तो ठीक है?”

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