Bhoot To Chala Gaya – Part 3

iloveall 2017-05-03 Comments

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खैर उस बात को सालों बीत गए थे। अब तो मैं लड़की से एक औरत बन गयी थी जो अपने पति से हजारों बाद चुदवा चुकी थी। अब मुझे पति से चुदवा ने में कोई झिझक नहीं होती थी, पर अगर कोई और मर्द मुझे छू ले तो मुझे कुछ अजीब सा नकारात्मक भाव होता था।

समीर के बारे में मेरे पति राज की बात सुनकर मुझे बड़ा सदमा लगा। राज की बात सौ फीसदी सही थी। मुझे समझ नहीं आ रहाथा की मैं क्या बोलूं। आखिरमें राज जुंझला कर बोले, “तुम औरतें न, बात का बतंगड़ बनाने में बड़ी माहीर हो। तुमने ही यह आग लगाई है अब तुम्ही उसे बुझाओ।”

मैंने अपना सर हिलाकर अपनी सहमति देते हुए पूछा, “डार्लिंग तुम सही हो। मुझे बड़ा पश्चाताप हो रहा है। मैंने समीर के साथ कई बार बात करने की कोशिश की पर वह मुझसे बात करना ही नहीं चाहता। तुम्ही बताओ अब मैं क्या करूँ?”

राज ने मेरी परिस्थिति देख सहानुभूति भरे स्वर में कहा, “जानू अब तुम यह काम मुझ पर छोड़ दो। अब मैं ही कुछ करता हूँ।

दूसरे दिन, सुबह मेरी ऑफिसमें राज ने मुझे फ़ोन किया और कहा की वह फ़ोन मैं समीर को दूँ। वह समीर से बात करना चाहता था। मैं समीर के पास गयी और उसे फ़ोन देते हुए कहा की मेरे पति राज, समीर से बात करना चाहते थे। समीर को थोड़ा आश्चर्य तो हुआ पर उसने मुझसे फ़ोन लिया और राज से बात करने लगा। मैं तुरन्त ही अपने स्थान पर आ गयी। समीर की राज से काफी समय तक बात चली। मुझे पता नहीं उनमें क्या बात हुई। जब समीर मुझे फ़ोन वापस करने आया तो बोला, “तुम्हारा पति राज एक अच्छा, सुलझा और समझदार व्यक्ति है। शुक्र है, तुम सही व्यक्ति की देखभाल में हो।

राज से बात करने के उपरान्त समीर में थोड़ा परिवर्तन जरूर आया। वह अब हम सबसे ज्याद अच्छी तरह से बात करने लगे। परंतु उनके अंदर जो पहले की चुलबुलाहट और जोश खरोश था वह पूरी तरह से गैर हाजिर था। मुझे अब लगने लगा की मैंने मेरी सख्ती से समीर के दिल का कोई कोना तोड़ डाला था जो जोड़ना अब मुश्किल था।

एक रात को फिर अच्छे खासे सेक्स के बाद जब मेरे पति राज अच्छे मूड में थे तब मैंने उनको समीर के बारेमें कहा. मैंने कहा की अब समीर बात तो करने लगे हैं, पर वह पहले वाली आत्मीयता या तत्परता नहीं थी। उनकी सारी बातें खोखली सी लग रही थी।

राज ने मेरी और देखा और पूछा, “जानू, क्या तुम सचमुच समीर को पहले की ही तरह देखना चाहती हो?”

मैंने सहज रूप से थोड़ा आश्चर्य जताते हुए कहा, “हाँ, पर तुम मुझे यह क्यों पूछ रहे हो?”

तब मेर पति ने मुझे बड़ी गंभीरता से कहा, “क्योंकि, समीर की सहजता और वही आत्मीयता लानेके लिए तुम्हें कुछ ख़ास करना पड़ेगा, और मैं नहीं जानता की तुम वह करने के लिए तैयार होगी।” मैंने कोई जवाब न देते हुए मेरे पति की और प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा।

राज ने कहा, “तुम्हें अपना स्वाभिमान और गैर मर्द के प्रति उदासीनता या नफरत के भाव पर नियत्रण रखना होगा। तुम्हे अधिक उत्साहित होना पड़ेगा और अपने स्त्री सुलभ चरित्र से समीर को यह जताना है की तुम वास्तव में अपने किये पर पछता रही हो। तुम्हें समीर के साथ एकदम तनाव मुक्त हो कर आराम से बात करनी होगी। यदि वह कोई सेक्सुअल या दुहरे अर्थ वाले जोक कहता है तो उनका हंसकर मजाक में लेना है। यदि गलती से या फिर जानबूझकर अनजान बनते हुए तुम्हारे स्तनों को या तुम्हारे कूल्हों को थोड़ा सा छू लेता है तो तुम कोई अड़ंगा मत खड़ा करना, तुम उसे हंसी मजाक में ले लेना। दफ्तर में, खेल में, साथियों में ऐसा होता रहता है। युवा युवतियां इसको एन्जॉय करती हैं, बुरा नहीं मानती। तुम कोई चिंता मत करो, बाकी मैं सब सम्हाल लूंगा।”

मैं बड़े ही असमंजस में पड़ गयी। मैं सोचने लगी की क्या मैं ऐसा कर पाउंगी? मेरे लिए मेरे पति राज की बात मान कर आगे बढ़ना बड़ी ही टेढ़ी खीर थी। पर अब मेरे आस और कोई चारा भी तो नहीं था। मैंने अपना सर हिला कर हामी भर दी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

दूसरे दिन राज ने मुझे ऑफिस में फ़ोन किया और फ़ोन समीर को देनेके लिए कहा। राज और समीर में थोड़ी देर बात हुई और फिर समीर मुझे फ़ोन वापस करने आया और थोड़ा सा मुस्कुरा कर बोला, “राज ने मुझे रातको डिनर पर बुलाया है। वास्तव में तुम्हारा पति एक बहुत अच्छा इंसान है।”

उस दिन छुट्टी थी। सुबहसे ही जब मैं समीर के आने की तैयारी मैं लगी हुई थी, तो मेरे पति राज मेरे पास आये और बोले, “जानू, मैं चाहता हूँ की आजकी शाम एक यादगार शाम हो”

मैंने जब प्रश्नात्मक दृष्टि से राज को देखा तब उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूँ की आज शाम के लिए आप कुछ ख़ास कपडे पहनिए और आज आप कुछ खेलदिली दिखाइए। ”

राज का ‘ख़ास’ वस्त्रों का अर्थ मैं भली भाँती जानती थी। उनका कहना का अर्थ था ‘भड़कीले’ कपडे पहनना। पर मैं खेलदिली का अर्थ नहीं समझी। मैंने राज से पूछा, “खेलदिली से तुम्हारा क्या मतलब है?”

“मेरी प्यारी नीना, मैं चाहता हूँ की आज शाम को आप जैसे बहाव बहता है ऐसे ही बहते जाओ। आप एकदम तनाव मुक्त रहो और यदि बातचीत कुछ उत्तेजना पूर्ण हो जाए तो भी कोई तरह की खीच खीच मत करना।” मेरे मनमें कुछ द्वन्द हुआ की क्या मेरे पति मेरी और समीर की करीबी की बातें सुनकर उत्तेजित हो रहे थे और चाहते थे की बात कुछ आगे बढे? पर इसका कोई जवाब मेरे पास नहीं था। यह सिर्फ मेरे मनका एक तरंग ही था।

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