Kaamagni.. Ye Aag Kab Bujhegi – Part III

chutanshu 2015-09-17 Comments

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सोच रहा था साली वो मुझे गलिया दे रही होगी पर क्या करू? में मेम पर थोडा गुस्से भी था क्योंकि उसने मुझे तम्मु की वजाए अपने पास बिठाकर हमदोनो को अलग कर दिया और मेरा और तम्मु का १० दिनों से रातभर बस में साथ बेठे हुए दिल्ही तक मस्ती करने के प्लान को चोपट कर दिया था। उसपे ये सह्नाज़.. साली चुडेल ने खेल ख़राब कर मुझे और गुस्सा कर दिया था। मन ही मन में उसे गलिया दे रहा था “मिलने दे साली को अकेले में साली गांड फाड़ दूंगा”।

में हताश होकर मेम के बगल में सहमा हुआ बैठ गया। मेरे लंड का उभार अभी भी थोडा बरक़रार था। जयनामेम बारीबारी उसे देख रही थी ये मेरा ध्यान गया तो मे शरमाके अपने पैरो को थोडा सिकुड़ ने लगा।

जयना: (आंखे ज़पकते हुए) अरे साहिल तुम ठीक से बैठ पा रहे हो ना?

वो थोड़ी खिसकी और मुझे थोडा अन्दर की तरफ अच्छे से बैठने को कहा।

जयना : (मुझे शायद दिलाशा देने) साहिल देखो अब हम टीचर स्टूडेंट नहीं अच्छे दोस्त हे…मत शरमाओ ठीक से बैठो मिलाओ हाथ। (उसने अपनी कोमल गुलाबी गर्म हथेली से मेरा हाथ पकड़ दबाया)

मेरी तन्द्रा टूटी और…

मैं: जी जी जी मेम..

में उसकी और अन्दर थोडा और खिसकके बैठा। मेरा पैर अन्दर की तरफ उसकी बड़ी मस्त जांघ से सट गया। मे उसके कपड़ो से सेंट की सेक्सी खुशबू और अच्छे से महसूस करने लगा। एक मस्त नशीला आलम बनने लगा था पर मेरे मन में तम्मना का चिकना मस्त गदराया बदन, उसकी गोल नर्म उन्नत चुचिया, गुलाबी नोकीली निप्पल, मस्त मटकते कुल्हे घूम रहे थे।

मुझे आज वो सब करना था जो वो मुझे कोलेज में सब दोस्तों के सामने नहीं करने देती थी। उसने मुझे वादा किया था के दिल्ही जर्नी दे दोरान वो मेरे साथ बैठ एक हॉट रोमांस करने देगी। इसीलिए तो उसने आज स्कर्ट और लो नैक टॉप पहना था ताकि सब आशानी से हो सके। ये लडकिया बड़ी चालक होती हे पर हमारी उम्मीदों पे पानी फिरता नज़र आ रहा था..

मैंने बोर होते हुए हमारे बाजुवाली सिट पे नज़र डाली तो वहा एक बुड्ढा कपल बैठा था। वो तो आंखे बन्ध कर अपने ऊपर चददर डाल आंखे बंधकर आराम से सोने लगा था। मेरे सब दोस्त आगे की सीटो पर बैठे हुए एक दुसरे से हसी मजाक कर मजे कर रहे थे और में यहाँ चुपचाप शिस्त से बैठा था, मेरे मन की मन में रह गयी..

अच्छा मोका था आज तम्मना के पुरे बदन को अपने हाथो से नोच लेता उसे अच्छे से तराश लेता पर.. वो भी गया। उधर तम्मु भी बहोत गुस्से में थी और वो भी वहा तड़प रही थी। तम्मना और मेरे बाकि दोस्त मेरे फ़ोन पर मेसेज करके मुझे गालिया देने लगे।

“साले कुछ भी बहाना कर यहाँ आजा वरना तू गया। मेम को बोल नहीं सकता, साले कुत्ते, कमीने.., कैसा मर्द हे एक औरत के सामने बोल नहीं सकता? मुह में जबान नहीं? कुछ भी बोल मेम को और जटसे यहाँ आजा।”

वो मेसेज दवारा अपना गुस्सा मुज पे निकाल रही थी। मेरे सब दोस्त भी मुझे वोट्सअप पर गलिया देकर मुझे आगे आने को कह रहे थे। पर में क्या करू, मेम को कैसे कहू???? मुझे तम्मु के पास बैठना हे। मेम के डर से में तो उसे मेसेज के जवाब भी नहीं दे पा रहा था। मैंने थोड़ी हिम्मत कर मेम को पूछा…

मैं: मेम आप आराम से बैठी होना..? (थोडा शरमाते हिचकिचाते हुए) अगर आप ठीक हो तो में आगे की सिट पे अपने दोस्तों के साथ बैठू? सह्नाज़ यहाँ आपके साथ..

जयना: क्यों? अब में तुमारी दोस्त नहीं? मेरे साथ बैठना तुमे अच्छा नहीं लग रहा। मुझसे बात करो। मुझे पता हे वो लोग तुजे मेसेज कर बुला रहे हे। उन्हें पता नहीं के हम पिकनिक पर नहीं गेम्स लके लिए जा रहे हे। अभी बस में सोयेगे नहीं तो में उन लोगो को वहा आराम नहीं करने दूंगी। रुको में उन्हें भी सुला देती हु। ठहर में अभी कहती हु।

जयना: सब लोग अपना मोबाइल अपने बेग डाल दे और आराम करे। कल दिल्ही जाते ही हमें प्रैक्टिस करनी हे। अगर कोई ठीक से नहीं सोया और आराम नहीं किया तो कल उसे बक्शा नहीं जायेगा। वहा हमें पर्फोम करना हे याद रहे..(एक तरह से उसने सबको धमकाया)।

सबलोग फटाफट अपने फ़ोन अपनी बेग में डालने लगे क्योंकि जयना से सब की फटती थी।

जयना: संजू, रवि, सह्नाज़, तम्मु सबलोग अभी सो जाओ, १० बजे बस अहमदाबाद रुकेगी वहा हमारा रात का डिनर होगा। तब तक सब आराम करो और ड्राईवर को कहो अन्दर की लाइट बन्ध करदे..

मैं: ओह्ह्ह नहीं मेम एसा…नहीं..

जयना: तो बस आराम से बैठो और सो जाओ..(उसने मेरे सर पे मारते हुए कहा)।

बस मैं आगे की पहली सिट वाली छोटी लाइट को छोडके सब लाइट बध…अब बस में शांति और एक हल्का सा अँधेरा छा गया। मुझे ये पता नहीं था की यहाँ वही मस्ती जयना मेम के साथ भी होने वाली हे।

जयना मेम मुझसे बहोत सटकर बैठी थी और बस हिचकोले ले चल रही थी तो कभी में मेम पर तो कभी मेम मेरे पर ढल रहे थे। ऐसे में उसका चिकना मक्कखन सा रेशमी बदन मेरे बदन पे बारीबारी रगड़ मार रहा था.. मुझे थोडा अजीब लग रहा था और ये डर भी.. की कही मेम मेरा बदन उसे छू जाने पर डाट ना दे। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ उल्टा वो मुश्कुराने लगती। आज उसका ये शांत रूप देख मुझे अचंबा हो रहा था।

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