Maya Ki Chut Ne Lagaya Chodne Ka Chaska

Picashow 2015-04-21 Comments

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माया: उई ई इ इ इ माँ, काट के खून निकालेगा क्या? ओह्ह में सब के सामने कैसे आ सकुंगी पागल. यह क्या किया. वो आईने में अपने होंठ देखने लगी. उसने मुझे जोर से धक्का दे कर अपने कमरे का दरवाजा बन्ध कर ड्रेस बदलने चली गयी. में अपने को ठीक कर बैठक के पेपर पढने बैठ गया. इतने में चाचा मेहमानों को लेके घर आ गए. उसने चाची को आवाज़ लगायी-

चाचा: अरे सुनती हो….हम लोग आ गए हे. चाचा के साथ ३ मेहमान (श्यामलालजी ६२साल के, आशादेवी की मतलब उनकी पत्नी ६० की, अशोक यानी लड़का जोकि करीब ३८ का, थोडा दुबला सा, नंबर वाले चश्मे पहने हुए, गाल अन्दर बेठे गए थे) दिखने में वो लोग बड़े श्रीमंत दीखते थे. चाचा ने उनसे मेरा परिचय अपने बेटे की तरह करवाया, मैंने नमस्ते करते हुए कहा चाचा में चाची की मदद में रसोई में जा रहा हु आपको कुछ काम तो नहीं? चाचा ने नहीं बेटा जा तू आज बिटिया भी नहीं अच्छा हे तू हे तो.

में रसोई में गया तो माया मस्त तैयार होके बनठन के पानी की ट्रे तैयार कर रही थी. बापरे आज मुझे उसका असली रूप देखने को मिला. में तो उसे देखता ही रह गया. चाची मेहमानों के पास गयी थी तो रसोई में हम दो ही थे.

माया: ऐसे क्या देखता हे? क्या मुझे कभी देखा नहीं? पागल जरा देख तो मेरे होंठ पर काटने का निशान तो नहीं. में नजदीक गया.. तो वो दूर जाने लगी और बोली –

माया: देख अभी कोई शरारत न करना, तुजे तो में शाम को देखती हु. आज तो तू गया….. देखती हु आज तुजे कोंन बचाता हे?

में: अरे यार तुम क्या लग रही हो! यह रूप तुमने अबतक कहा छुपाया था?, आज तुम क़यामत सी लग रही तो मुझसे भी रहा नहीं गया और तुजे चबाने को दिल हो गया. सॉरी …… वैसे तुम क्लास लग रही हो यार जाच रही हो..

में: बोल इस लड़के को भगाके तुजसे शादी कर लू? मैंने उसकी गांड पर जोर से फटकारा….

माया: आई… आउच…. पा…गल ये ठोंकने की आवाज़ बहार कोई सुन लेगा. वो सी सी सी करते हुए अपने कुलहो को हाथ से सहलाते हुए.. बोली ले ये पानी की ट्रे लेजा और सब को पानी पिला और भाभी को अन्दर भेज. में ट्रे लेके बैठक में गया और सब को पानी पिलाया..वो लोग अपनी बातो में मस्त थे.. मेने चाची को इशारा करके रसोई में आने को कहा.

चाची: अरे क्या बीनू… क्यों बुलाया? थोड़ी बात तो करने देती. बोल क्या हे?

माया: भाभी लड़का कैसा हे? बिचमें में टपक पड़ा और बोला –

में: बिलकुल तेरी पसंद का. भगवान् ने तेरे लिए चुनके भेजा हे. वो गुस्सा करते हुए…

माया: भाभी इसको बहार भेजो वरना में इसका गला घोट दूंगी…..

चाची: अरे तू उसे क्यों छेड़ रहा हे. इसका मेकअप ख़राब हो जायेगा. तू थोड़ी देर शांत नहीं रहेगा?

में: ना चाची इसके साथ बुआ की शादी कर ही दो और दहेज़ में मुझे इसके साथ भेज दो.

चाची: (हसते हुए) पागल अभी तू शांत रह वरना ये मेहमान जाने के बाद तेरा कचुम्बर कर देगी फिर मुझसे कोई हेल्प न मांगना. माया ने जबान निकाल कर मुझे कहा..

माया: उल्लू… बन्दर… तू रुक तेरे लिए एक पागल लड़की ढूंढ़कर तुजे एक कमरे में उसके साथ बन्ध करना हे.
चाची ने चाय नास्ते की ट्रे तैयार की और हमदोनो को सुचना दी अब यह तीनो ट्रे लेके तुम दो एक अच्छे बच्चो की तरह वहा आना और कोई शरारत मत करना वरना अपने चाचा से भी पिटोगे. मेने नास्ते की दोनों ट्रे ली और माया ने चाय एक ट्रे लेकर बैठक में गए. यह सब प्रोग्राम १२.३० तक चला और मेहमान जाने के बाद..

माया: (अपनी भाभी के गले मिलकर रोते हुए) भाभी ये लड़का मुझे अच्छा नहीं लगा पर उन्हों ने मुझे शायद पसंद कर लिया हे. मुझे ऐसे लड़के से शादी नहीं करनी.

चाची: (उसके बालो को सहलाते हुए) ना बनू ऐसा नहीं कहते पगली. तेरी खामीयो को जानते हुए उसे नज़र अंदाज़ करके उसने तुजे पसंद किया हे, ऐसे लोग कहा मिलेगे?

में भी उदास सा हो गया था. हमलोगों ने चुपचाप दोपहर का खाना खाया और में ऊपर अपने कमरे में चला गया. आज इतवार हो ने से सुस्ता रहा था तो दोपहर में सो गया. शाम होने को होगी और मुझे नींद में कुछ छूने का एहसास हुआ. मैंने आंख खोली तो माया मेरे सर के पास बेठे हुए मेरे सर को चूम रही थी.

में: (जागते हुए) उदासी से ओह तुम हो? यार तुम तो परायी हो गई. उसने अपनी गोद में मेरा सर ले कर मेरे होठो पर अपना हाथ रखते हुए ….

माया: नहीं विकी हम कभी पराये नहीं होंगे… तू मेरा पहला और आखरी प्यार है. अब माया किसी को प्यार नहीं करेगी..

में: अरे यार तुमे डर नहीं लगता चाची आ गयी तो?

माया: नहीं आएगी वो दोनों और दीपू ताउजी के घर गए हे और कल सुबह आयेगे और सीमा और सपना कल शाम को आयेगे. भाभी ने मुझे तेरा खाना बनाने और खयाल रखने कह अभी अभी गए हे. हमदोनो अकेले. चल तू हाथ मुह धो के निचे आ.

माया निचे गयी और में ब्रश करने…… में निचे गया तो घर का मेन गेट बन्ध था और घर में शांति थी. माया ने मुझे आवाज़ दी…

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