Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 16

iloveall 2017-02-17 Comments

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अरे! आग तो दोनों और बराबर लगी हुई थी। मैं भी अनिल को सच्चे मन से चाहने लगी थी। मैं जानती थी की अनिल एक कासानोवा की तरह था। वह रंगीला और सेक्स का भूखा था। कॉलेज की सारी लडकियां उसपर मरती थीं। मैं यह भी जानती थी की कइ लड़कियों से अनिल ने सेक्स भी किया होगा क्योंकि लडकियां अनिल को बड़ी आसानी से अपना बदन समर्पित करने के लिए लालायित रहती थीं। पर सब लड़कियों की यही शिकायत थी की अनिल ने उनमें से किसीसे भी प्यार का इजहार तो क्या, उन्हें अपनी गर्ल फ्रेंड कहलाने को भी मना कर दिया था। पर लडकियां थीं की फिर भी अनिल को अपना बदन समर्पित करने तैयार रहती थी।

अनिल ने पहली बार किसी लड़की से चाहने की बात कही थी। मैं मना कैसे करती? मैं खुद उस समय अनिल के लिए उत्कट, उन्माद पूर्ण प्यार और अनियंत्रित सेक्स की कामना से मरी जा रही थी। फिर भी मैंने अपने आप पर नियत्रण रखते हुए कहा की, “अनिल अगर तुम मुझे सच्चे दिल से प्रेम करते रहोगे और मुझसे कोई भी बात नहीं छुपाओगे तो मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगी।”

बस मैं इतना ही कह पायी क्योंकि अनिल ने मुझे तुरंत एक ही झटके में कस के जकड लिया और बार मेरे होठों को चूमने लगा। उसने मेरा कुरता निकाल दिया और मेरे बड़े बड़े स्तनों को चूमने और चूसने लगा। मुझ वह ऐसा आनंद दे रहा था जिसका वर्णन मैं कर नहीं सकती।

मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया। मैं न सिर्फ उसका अवरोध नहीं कर पा रही थी, बल्कि उसके जातीयता भरे कामुक क्रीड़ालाप में मैं उसका साथ दे रही थी। मैं उसके मुंह की लार के लिए तरस रही थी। अनिल ने प्यार से मेरी डेनिम की शॉर्ट्स की ज़िप खोल दी और अपना हाथ अंदर डाल कर उसने मेरी पैंटी को निचे सरका दिया और मेरी योनि में उंगली डाल कर मुझे उकसाने लगा। मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द का हाथ मेरे गुप्तांगो पर महसूस किया और उसकी उत्तेजना और उन्माद मुझे पागल कर रहा था।

उस दिन तक कभी भी मैंने यह सोचा नहीं था की मैं शादी से पहले किसी मर्द को अपने गुप्तांगो छूने भी दूंगी। एक मर्द का हाथ योनि के ऊपर और अंदर जानेसे क्या होता है वोह मैं उस दिन तक नहीं जानतो थी। जातीयता का उन्माद और उत्तेजना मेरे लिए तब तक या तो किताबों में लिखी हुई रोमांचक गाथाएँ थीं या फिर एक युवा लड़की को स्त्री पुरुष के मिलन की मधुर कल्पनाएँ। अनिल के उंगली डाल मेरी योनि के अंदर बाहर करनेसे मुझे क्या अनुभूति हो रही थी, उसका वर्णन करना मेरे लिए मुश्किल है।

मैं कामान्ध हो चुकी थी और मेरे मनमें अनिल का पुरुष लिंग देखने की इच्छा हुई और अनायास ही मेरा हाथ उसकी टांगों के बिच चला गया।

तब तक मैंने कोई भी वयस्क पुरुष का लिंग नहीं देखा था। हाँ मैंने सहेलियों को यह कहते हुए सुना था की पुरुष का लिंग बड़ा हो तो उसे स्त्री को अपनी योनि में डालने में बड़ा मझा आता है। जैसे ही मैंने अनिल की टांगो के बिच में हाथ डाला तो अनिल ने उसे वहीँ पकड़ लिया। मेरी और देखकर उसने प्यार से पूछा, “क्या तुम मेरे लन्ड को देखना चाहोगी?”

मुझे तब पता चला की पुरुष के लिंग को लन्ड कहते हैं। हालांकि मैंने कई बार कई पुरुषों को “लौड़ा, लन्ड” इत्यादि बोलते हुए सुनाथा, पर मैं उसका अर्थ ठीक ठीक समझ नहीं पायी थी। मैंने अनिल के सवाल का जवाब नहीं दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..

अनिल ने मरे मौन को मेरी स्वीकृति मान कर फट से अपने पतलून की बेल्ट और ज़िप खोल दी और अपने पतलून और जांघिये को निचे की और सरका कर अपने लन्ड को मेरी आँखों के सामने प्रस्तुत किया। अनिल ने मेरा हाथ पकड़ कर उसके लन्ड के ऊपर रख दिया। मैंने अनजाने में ही उसके लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया। मैंने कोई भी पुरुष का लन्ड तब तक नहीं देखा था। हाँ छोटे छोटे नंगे बच्चों का छोटा सा लिंग जरूर देखा था। पुरुष का लन्ड इतना बड़ा हो सकता है, यह देख कर मैं घबड़ा सी गयी। मेरी अनुभवी सहेलियां कहती थीं की जब पुरुष अपना लन्ड स्त्री की योनि में घुसाता है तो स्त्री को एक अद्भुत अनुभव होता है। पर अनिल का इतना बड़ा लन्ड मेरी योनि मैं में कैसे घुसेगा यह सोचकर मैं काँपने लगी।

अचानक मेरे मनमें ख़याल आया की मैंने उस समय मेरी माँ की सारी सिख को टाक पर रख दिया था और उस समय मैं एक दोस्त के लन्ड को मेरी योनि मैं डलवाने के बारे में सोच रही थी। उस समय मेरा हाल बड़ा ही अजीब था। सब कुछ जानते और समझते हुए की मैं उस समय ऐसा कुछ कर रही थी, जिसकी इजाजत मेरे माता पिता कभी नहीं देते। मैं अनिल को उकसा रही थी। सब कुछ समझते हुए भी मैं अपने आप को मेरी अंदरूनी उत्तेजना के सामने लाचार पा रही थी।

अनिल ने मुझे थोड़ा खिसकाया और मेरे सर पर हाथ रखकर मेरे सर को अपनी गोद में दबाते हुए मेरा मुंह उसके लन्ड के ऊपर रख दिया। मेरी समझ मैं नहीं आया की वोह क्या चाहता था। पर जैसे ही मेरे मुंह के सामने जब अनिल का बड़ा और मोटा लन्ड मेरे होठों को रगड़ने लगा तो अनायास ही मेरा मुंह खुल गया और अनिल ने मेरे सर को निचे की और अपने लन्ड की सीध में रख कर एक धकका मार कर मेरे मुंह में उसके लन्ड को धकेल दिया।

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