Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 9

iloveall 2016-08-31 Comments

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Desi Sex Story

मैंने अपनी पत्नी को उस गाउन में जब देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसके पिछेकी रौशनी में उसकी टाँगे, उसके नितम्ब, उसके स्तन, निपल बल्कि उसकी चूत की गहराई तक नजर आ रही थी।

ऐसा लग रहा था जैसे उसने कपडे पहने ही नहीं थे। मेरा माथा यह सोचकर ठनक गया की जब अनिल उसे इस हाल में देखेगा तो उसके ऊपर क्या बीतेगी।

तभी मैंने अनिल को अपने हाथों से तालियां बजाते हुए सूना। उसने नीना को उस गाउन में देख लिया था।

वह नीना के पास आया और जैसे नीना के कानों में फुसफुसाता हुआ बोला, “भाभी आप इस गाउन मैं मेनका से भी अधिक सुन्दर लग रही हो। मैं भगवान की सौगंध खा कर कहता हूँ की मैंने आज तक आप जितनी सुन्दर स्त्री को नहीं देखा।”

अनिल ने आगे बढ़कर नीना से पूछा, “क्या मैं आप को छू सकता हूँ?”

अपनी इतनी ज्यादा तारीफ़ सुनकर नीना तो जैसे बौखला ही गयी। वह यह समझ नहीं पायी की वह उस गाउन में पूरी नंगी सी दिख रही थी। बल्कि वह तो अनिल की प्रशंशा के पूल बाँधने से इतनी खुश हुयी की वह अनायास ही अनिल के पास आई और अनिल ने जब अपने हाथ फैलाए तो वह मुस्कुराती हुयी उसमें समा गयी। मैं अपनी भोली और सरल पत्नी के कारनामे देख कर दंग सा रह गया। नीना ने मेरी और देखा और ऐसे मुंह बनाया जैसे मैं उसका कोई प्रतिद्वंदी हूँ।

वह अनिल के बाँहों में से बाहर आकर अनिल के ही बगल मैं बैठ गयी। नीना ने मुझे भी अपने पास बुलाया और अपने दूसरी और बिठाया। नीना मेरे और अनिल के बीचमें बैठी हुयी थी। नीना ने अपना एक हाथ मेरे और एक हाथ अनिल के हाथ में दे रखा था। हम तीनों एक अजीब से बंधन मैं बंधे हुए लग रहे थे।

अनिल उसने तब नीना का हाथ अपने हाथ में लेकर उसे सेहलना शुरू किया और बोला, “राज, नीना, मैं तुम्हें अब एक बड़ी गम्भीर बात कहने वाला हूँ। कुछ ख़ास कारण से मैंने सबसे यह बात छुपाके रखी है। यहां तक की मैंने अनीता को और अपने माता और पिता तक को नहीं बताया। ” अचानक हम सब गम्भीर हो गए।

अनिल ने तब हम को बताया की उसको उसकी कंपनी की औरसे उसे निकासी का आर्डर मिल गया था। उसे एक महीने का नोटिस मिला था। अब उसके पास कोई जॉब नहीं था। अगर वह एक महीने में कोई और जॉब नहीं ढूंढ पायेगा तो उसे घर बैठना पड़ेगा। कमरे में जैसे एक मायूस सा वातावरण फ़ैल गया।

अब अनिल वह अनिल नहीं लग रहा था। हम जानते थे की अनिल का पूरा घर उसीकी आमदनी से चलता था। अगर आमदनी रुक गयी तो सब की हालात क्या होगी यह सोचना भी मुश्किल था। अनिल की आँखोंसे आंसू बहने लगे। वह अपने आप को सम्हाल नहीं पा रहा था। मैंने और नीना ने उसके हाथ पकडे और उसको ढाढस देने की कोशिश करने लगे। पर अनिल के आंसू रुकते ही न थे। अनिल एकदम उठ खड़ा हुआ और बाथरूम की और बढ़ा।

नीना भी भावुक हो रही थी। अनिल की ऐसी हालत उससे देखी नहीं जा रही थी। नीना उठकर मेरे पास आई। उसकी आँखों में भी आंसू थे। वह बोली, अरे देखो तो, अनिल का कैसा हाल हो रहा है। उसे क्या हो गया? उसे सम्हालो। अनीता को इस वक्त अनिल के पास होना चाहिए था। तुम क्या कर रहे हो। जाओ अपने दोस्त को सांत्वना दो। उसके पास बैठो, उसको गले लगाओ।”

तब मैंने अपनी पत्नी को अपनी बाँहों में लेते हुए कहा, “देखो आज होली है। आज आनंद का त्यौहार है। रोने का नहीं। ऐसे वक्त में तो एक स्त्री ही पुरुष को प्रेम देकर अपने स्त्रीत्व से शांत कर सकती है। मैं कुछ नहीं कर सकता। अनीता भी तो अनिल के पास नहीं है। आज तो तुम ही अनिल को शांत कर सकती हो।

मेरी बात सुनकर नीना सहम सी गयी और कुछ देर तक सोचने लग गयी। फिर बोली, “पर अगर मैं उसे अपने स्त्रीत्व से शांत करने की कोशिश करुँगी और कुछ ऊपर नीचे होगया तो?” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

मैंने कहा, “तो क्या होगा? मैं हूँ ना? सुबह उसने तुम्हारी चूचियां दबाई तो क्या हुआ? कौन सा आसमान टूट पड़ा? तुम्हें कुछ नहीं होगा। ज्यादा चिंता मत करो। मैं तुम्हारा पति तुम्हे कह रहा हूँ। यह ज्यादा सोचने का वक्त नहीं है। तुम मेरे साथ चलो और उसे अपने आँचल में लेकर शांत करो। वरना वह कहीं वह कोई पागलपन न कर बैठे। वह कहीं अपनी जान न खो बैठे। और अगर ऐसा कुछ हुआ तो तुम अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाओगी।”

नीना हड़बड़ा कर उठी और अनिल जहां बाहर बैठा था उसके पास गयी। उसने अनिल का हाथ पकड़ा और उसे खीच कर बैडरूम में ले आई। अनिल की सिसकियाँ तब भी नहीं रुक रही थी। पलंग पर नीना मेरे और अनिल के बिच बैठी। उसने अनिल का सर अपनी गोद में रखा और उसके काले घने बालों में अपनी उंगलियां ऐसे फेर रही थी जैसे वह कंघा कर रही हो। अब अनिल का सर मेरी पत्नी की गोद में था।

अनिल का नाक अब नीना के स्तनों को छू रहा था। अनिल का हाल देखने वाला था। नीना जैसे ही थोड़ी झुकी की उसकी मद मस्त चूंचियां अनिल के नाक पर रगड़ ने लगीं। नीना सिहर उठी। नीना सीधी बैठी और अनिल और मुझे अपनी दोनों बाँहों में लिया।

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